रायपुरः नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा और सुकमा जिले में सुरक्षा बलों की सुविधा के लिए बरसात के पहले बिना टेंडर पुलिया बनाए जाने पर कांग्रेस विधायकों ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा में जमकर हंगामा किया और लोक निर्माण मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से वांक आऊट कर दिया। कांग्रेस ने पूरे मामले में लोक निर्माण मंत्री पर भ्रष्ट्राचार के आरोप लगाए।
क्या है मामला
दरअसर प्रश्नकाल के दौरान सुकमा से कांग्रेस के विधायक कवासी लकमा ने एक प्रश्न के माध्यम से लोकनिर्माण मंत्री और छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री अरूण साव से जानना चाहा था कि सुकमा और दंतेवाड़ा के सरहदी गांव परिया, नागलगुंडा और मुलेर में निर्माणाधीन पुलिया का टेंडर करब हुआ था और सरकार ने उस कार्य़ की प्रशासकीय स्वीकृति कब दी थी।
प्रश्न का जवाब देते हुए राज्य के लोक निर्माण मंत्री ने सदन को बताया कि तीनों पुलिया निर्माण के लिए निविदा प्राप्ति की अंतिम तिथि 16 दिसंबर तथा निविदा खोलने की अंतिम तिथि 17 दिसंबर है। लोक निर्माण मंत्री ने बताया कि तीनों गांव से सुरक्षा बलों के कैंप तक बरसात के समय सुरक्षा बलों की आवाजाही के लिए स्थानीय कलेक्टर के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग द्वारा कार्य़ शूरू कराया गया था। सुरक्षाबलों की आवाजाही के लिए तत्काल काम कराया जाना जरूरी था, इसलिए काम पहले कराया गया और टेंडर की प्रक्रिया बाद में की जा रही है।
शासन ने अबतक एक रूपए भी खर्च नही किए
लोकनिर्माण मंत्री ने कहा कि तत्काल काम सुरक्षाबलों की जरूरत के मद्देनज़र दिया गया था लेकिन राज्य शासन द्वारा ठेकेदार को एक रूपए का भी भूगतान नही किया गया है। उन्होंने कहा कि भूगतान की प्रक्रिया टेंडर के बाद होगी।
विपक्ष का हंगामा
सदन में लोकनिर्माण मंत्री के जवाब से कांग्रेसी सदस्य संतुष्ट नही हुए। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मामले में हस्तक्षेप करते हए पूरे मामले की जांच कर कार्यवाई की मांग की। लेकिन लोक निर्माण मंत्री ने कांग्रेस की मांग को स्वीकार नही किया। इसके बाद कांग्रेसी सदस्य सदन में नारेबाजी करने लगे और लोक निर्माण मंत्री पर भ्रष्ट्राचार के आरोप लगाए। इसके बाद सदन में सत्ता-पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक और हंगामा हुआ। कांग्रेस विधायकों ने नारेवाजी करते हुए सदन से वांकआऊट कर दिया।