कालेजों की मान्यता देने रिश्वत में दिए थे सोने के बिस्किट, प्रोफेसर और संचालकों को 3 साल की कैद


रायपुर। निजी इंजीनियरिंग और पालिटेक्निक कालेजों को मान्यता देने के लिए रिश्वत लेने वाले एआइसीटीइ के दो अधिकारी और तीन कालेजों के संचालकों को तीन साल कैद की सजा सुनाई गई है। सीबीआइ की विशेष न्यायाधीश ममता पटेल ने 11 साल पुराने केस की सुनवाई करते हुए पांच आरोपितों को सजा सुनाई। आरोपितों को सीबीआई की टीम ने रिश्वत के पैसे और सोने की बिस्किट लेते हुए भिलाई के होटल में रंगे हाथ पकड़ा था।


सीनियर अधिवक्ता रजत श्रीवास्तव ने बताया कि मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी भोपाल के प्रोफेसर पुष्य मिश्रा उर्फ पीएम अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) एमपी-सीजी सेंट्रल जोन के डायरेक्टर थे। इसी कालेज के असिस्टेंट प्रोफेसर संजय सोनी एक्सपर्ट विजिटिंग कमेटी के सदस्य थे, जो पीएम मिश्रा के निर्देश में कालेज का निरीक्षण कर मान्यता देते थे। संजय टीम के साथ साल 2012 के मई महीने में रायपुर, दुर्ग, भिलाई के कालेज का निरीक्षण करने आए थे। जहां उन्होंने निरीक्षण करने के बाद 12 कालेज के संचालकों से मान्यता के लिए रिश्वत की मांग की। दुर्ग निवासी प्रवीण विश्वकर्मा, संजीव खुल्लर और सुशील चंद्राकर ने अन्य कालेज के संचालकों से पैसा वसूला और संजय को दिया। सीबीआई ने भिलाई के होटल में छापा मारा। संजय के पास से 12 साेने के बिस्किट और 11.71 लाख नकद बरामद कर जब्त किया था।

वहीं शिकायत के बाद CBI ने संजय, प्रवीण, संजीव और सुशील को हिरासत में लेकर चारों से पूछताछ की थी। जिसके बाद भोपाल में डायरेक्टर पीएम मिश्रा को गिरफ्तार किया गया था। वहीं कुछ महीने बाद सभी आरोपित जमानत में छूट गए थे। तब से रायपुर सीबीआई कोर्ट में मामला विचाराधीन था। सीबीआई की विशेष न्यायाधीश ममता पटेल ने मामले की सुनवाई करते हुए पांचों आरोपितों के खिलाफ पेश किए गए ठोस सुबूत और साक्ष्यों के आधार पर दोषी करार दिया है। साथ ही तीन-तीन साल की सजा से दंडित करने का फैसला सुनाया। पीएम मिश्रा और संजय सोनी पर 15-15 हजार और बाकी तीनों आरोपितों पर पांच-पांच हजार रूपये का अर्थदंड भी लगाया गया है।


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