रायपुर। ताड़मेटला में हुई नक्सली मुठभेड़ की मजिस्ट्रियल जांच होगी। मुख्यमंत्री से मुलाकात के मंत्री कवासी लखमा ने ये जानकारी दी। प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर कवासी लखमा ने कहा कि 5 सितंबर को नक्सली और जवानों के बीच मुठभेड़ हुई थी और इस दौरान कथित तौर पर नक्सली मारे गए थे, जबकि गांव वाले इसे फर्जी मुठभेड़ बता रहे हैं।उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने बताया कि दोनों पक्ष से अलग अलग बातें आ रही थी। जिसकी वजह से उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात की। दोनों पक्षों की बातों की जानकारी मुख्यमंत्री को दी, जिसके बाद सीएम बघेल ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार को न्याय मिले, इसे लेकर निष्पक्ष जांच करायी जायेगी। सरकार नहीं चाहती कि इस तरह की घटना हो, बस्तर में शांति स्थापित हो, हमारी सरकार भी इस दिशा में काम कर रही है। कवासी लखमा ने कहा कि मजिस्ट्रेट जांच के लिए मैं सीएम बघेल का आभार व्यक्त करता हूं।
लगातार उठ रही थी जांच की मांग
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के कोंटा विधानसभा के पूर्व विधायक और आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम ने ताड़मेटला-दुलेड़ के जंगल में मुठभेड़ में मारे गए कथित नक्सली सोढ़ी कोसा और रवा देवा को स्थानीय ग्रामीण बताया है। उन्होंने 5 सितंबर को हुए पुलिस एनकाउंटर को फर्जी बताया और इस घटना की निंदा करते हुए न्यायिक जांच की मांग की।
ग्रामीणों का कहना है कि ताड़मेटला गांव के दो युवक सोढ़ी कोसा और रवा देवा तिम्मापुरम गांव में अपने सगे संबंधी से मिलने गए हुए थे, और वापसी के दौरान युवकों को पुलिस फोर्स ने रोक लिया, और गोलियों से भून डाला। पुलिस ने दोनों युवकों को एक-एक लाख का इनामी नक्सली बता दिया। गोली मारने के बाद उनके मोटरसाइकिल को भी छुपा दिया गया। ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस ने युवकों के शवों को खुद ही जला दिया।
बस्तर आईजी ने आरोपों का किया खंडन
इधर बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने फर्जी मुठभेड़ के आरोपों का खंडन किया है। आईजी ने अपने बयान में कहा है कि मारे गए दोनों ग्रामीण नक्सली संगठन के जनमलिशिया कैडर थे और ताड़मेटला गांव के शिक्षा दूत कवासी सुक्का, और गांव के उपसरपंच माड़वी गंगा और ग्रामीण कोरसा कोसा की हत्या में शामिल थे, इसके अलावा फोर्स के भी हर मूवमेंट की जानकारी नक्सलियों तक पहुंचाते थे।