00 संत,साधु बनना और पूजा पाठ करना सरल है.परिवार में रहकर उनका भरण पोषण करते भगवान का भजन करना कठिन

💢Explore Excellence in Education with St. Thomas Mission, Bhilai
🔷⭕Under the patronage of St. Thomas Mission, Bhilai and the Diocese of Calcutta, we proudly present *two distinguished NAAC 'A' grade accredited institutions:
🔷⭕Christian College of Engineering & Technology (CCET), Bhilai
🔷⭕Established in 1998, CCET is dedicated to nurturing future-ready engineers and technologists. With state-of-the-art infrastructure, industry-aligned programs, and experienced faculty, we provide a dynamic and supportive learning environment.
🔷⭕Programs Offered: Diploma | B.Tech | M.Tech | MCA | Ph.D.
🔷⭕Website: ccetbhilai.ac.in Admissions ഹെൽപ്ലൈൻ
📞🪀: +91 788 228 6662, 99819 91429, 98261 41686
Apply Now: https://forms.gle/rC4sWWXuBRXywJaAA
St. Thomas College, Raubandha, Bhilai
🔷⭕Established in 1984, St. Thomas College offers a wide range of undergraduate, postgraduate, and doctoral programs across various disciplines. Our holistic academic approach is designed to foster intellectual growth, leadership, and ethical values.
Courses Offered:
💢BA | B.Sc | B.Com | BCA | BBA | BJMC | B.Ed MA | M.Sc | M.Com | PGDCA | PGDJ | PGC | Ph.D.
Website: stthomascollegebhilai.in
Admission Helpdesk
📞🪀: +91 788 227 5970, +91 788 296 1770
💢Online admission form: https://stthomascollegebhilai.netcampus.in/enquiry/admission
🔷⭕For Guidance and Support:
🔷⭕Fr. Dr. P.S. Varghese Executive Vice Chairman +91 70050 24458 | +91 98261 41686









00 नेवरा हाई स्कूल दशहरा मैदान पर चल रही कांवड़ शिव महापुराण कथा का तीसरा दिन
तिल्दा नेवरा। हाई स्कूल दशहरा मैदान पर आयोजित की गई कांवड़ शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन मूसलाधार बारिश के बाद भी भक्त अपने भक्ति के लिए कथा मैं जाने से अपने आप को नहीं रोक पाए। जमीन गिली होने के बावजूद भक्त पॉलिथीन और छतरी लेकर कथा स्थल पर पहुंच गए और कथा शुरू होने के पहले ही पूरा पंडाल भक्तों से खचाखच भर गया।
महराज ने कहा रात भर जल वृष्टि हुई है, सुबह भी लगातार पानी गिरता रहा ,वह तो आप लोग कथा में पहुंच जाओ इसीलिए बाबा ने थोड़ी देर पानी को बंद कर दिया. बारिश के लिए लोग कहते हैं कि. बारिश बरसो पर इतना मत बरसो. की कोई आ न सके. और जब आ जाए तो. बारिश बरसो फिर इतना कि जो आज आए वो जान सके।
अगर किसी नेता के घर में कोई कार्यकर्ता काम करता है तो, उसका स्वार्थ होता है ,किसी सेठ के घर में काम करता है. तो उसकी एवज में उसको पैसा मिलता है. यहां भी उसका स्वार्थ होता है। पर शिव महापुराण की जो कथा होती है इसमें जितने कार्यकर्ता सेवा करते हैं ,इनका कोई स्वार्थ नहीं होता है ,इनका केवल भक्ति का स्वार्थ होता है इनका सिर्फ महादेव से मतलब है, भगवान के सिवाय इनको किसी से कोई मतलब नहीं है ,इनको सिर्फ देवों के देव महादेव से मतलब है भगवान के गुणगान से मतलब है। स्वार्थ रखकर यदि हम कोई कार्य करते हैं तो उसकी सफलता मिलती भी नहीं है, स्वार्थ से हटकर जब भगवान का भजन करें भगवान कीर्तन करेगे तो उसमें कुछ ना कुछ अच्छा हमको मिलता ही है।
महाराज जी ने भक्तों से कहा कि पता नहीं तुम लोगों को क्या हो गया है कि न तुम जल वृष्टि देख रहे हो ना हवा न पानी बस अपनी और छाता उठाएं और कथा में पहुंच जाते हो, यह शिव की कृपा है, देवों के देव महादेव की करुणा है, यह उनकी उदारता है, कथा का नाम है कावड़ शिव महापुराण कथा| तुम भले कांवर लेकर यहा नहीं पहुंचे हो, लेकिन तुमको यहां पहुंचने में पूरी वैसे की वैसे लगेगी जैसे सावन के महीने में कावड़िए शंकर जी के मंदिर में जाते हैं |तुम भी यहां आए हो तो कीचड़, पानी, कपड़े गीले हो रहे हैं, और जब कथा से वापस जाओगे तो ऐसी थकान होगी जैसे कांवर लेकर गए थे .और कावड़ छोड़कर आए हैं। इसीलिए ही इसका नाम कावड़ शिव महापुराण कथा है।
उन्होंने कहा कि शंकर क्या नहीं देते शिव क्या नही प्रदान कर देते हैं, बस हम सुख की कामना में घर बदल कर देख लेते हैं, हम सुख की कामना में दुकान अपना व्यापार और वस्त्र बदलकर देख लेते हैं, शिव महापुराण की कथा कहती है सुख की कामना मैं घर बदलकर देख लिया व्यापार बदल कर देख लिया वस्त्र बदल कर देख लिया. लेकिन एक बार सुख की कामना के लिए दिल चित बदल कर देखना, सुख अपने आप मिल जाएगा। दुकान नहीं चला हमने व्यापार बदल लिया घर नहीं फला हमने घर बदल लिया, लेकिन एक बार मन को बदल कर देखो कि हमारे भीतर ऐसी कौन सी तृष्णा है हमारे भीतर कौन सा लोभ समा गया है जिसके कारण हम भगवान के पास नहीं जा पाते हैं। जब हमारे भीतर से हमारे चित को बदलेंगे मन को बदलेंगे हमारी बुद्धि को बदलेंगे.भगवन कि अवश्य प्राप्ति होगी। भगवान से दुनिया के लोग शिकायत करते हैं पर आज तक ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जिसने भगवान से एक शिकायत की हो कि तुमने मुझे बुद्धि कम दी है। क्योंकि सभी लोग अपने आप को श्रेष्ठ बुद्धि वाला मानते हैं। एक श्रेष्ठता आपको अपने आप में है, कि आप अपने आप को बुद्धि में कमजोर नहीं मानते, तो भगवान की भक्ति में कमजोर कैसे हो सकते हो, उसके भजन में कमजोर कैसे हो सकते हो,आप उनके अनुमोदन में श्रद्धा में उसके विश्वास में कमी कैसे ला सकते हो।
महाराज ने कहा कि हम अपने भरोसे को प्रबल क्यों नहीं बना पाते हैं, जिस दिन हमारा भरोसा और हमारी दृढ़ता परमात्मा के भरोसे छोड़ देगे सब कुछ अपने आप ठीक हो जाएगा ।महाराज ने कहा दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं कोई ईश्वर के लिए भगवान के लिए सब कुछ छोड़ देता है.और दूसरा दूसरा वह जो भगवान पर सब कुछ छोड़ देता है..दोनों का नाम आप बोलिएगा इसमें से सबसे प्रबल कौन सा है,सवाल करते हुए महाराज ने भक्तो से कहा चलो बोलिए छत्तीसगढ़ वालों, तिल्दा नेवरा वालों ,बताए दोनों में श्रेष्ठ कौन सा है, पहला है भगवान के लिए सब कुछ छोड़ देना और दूसरा है भगवान पर सब कुछ छोड़ देना,, तब भक्तों ने महाराज जी को जवाब दिया जो दूसरा व्यक्ति है जिसने भगवान पर सब छोड़ा है वह सर्वश्रेष्ठ है।
शिव महापुराण की कथा कहती है कि हम भगवान के लिए सब कुछ छोड़ दिए है , उसके बाद भी उसका मन घर में क्यों लगा रहता है मेरा पोता मेरा बेटा कैसा होगा, तो फिर तो फायदा कैसा होगा।
महाराज ने कहा संत बनना सरल साधु बनना सरल है. गंगा जी के तट पर बैठकर पूजा पाठ करना सरल है पर सबसे ज्यादा कठिन है घर में रहकर परिवार में रहकर उनका भरण पोषण करते हुए भगवान का भजन करना यह कठिन है। यह दुनिया का सबसे कठिन काम है हमने कभी नहीं कहा कि आप अपनी नौकरी छोड़ दो कथा में आकर बैठ जाओ हम यह भी नहीं कहते कि तुम अपनी दुकान बंद कर कथा में आ जाएं आज तक इस व्यास गद्दी से के तुम अपना परिवार छोड़कर कथा में आकर बैठ जाओ यह व्यासपीठ हमेशा कहती रही है अपनी नौकरी करो अपना व्यापार करो पर उस व्यापार को उस व्यवसाय को कुछ नौकरी के साथ में इतना सा समय जरूर निकालना की तुम्हारे मुख से ओम नमः शिवाय नमोस्तुते तुम्हारे मुख से राम नाम कृष्ण का नाम निकल जाए तुम्हारे मुख से भगवान का भजन निकल जाए क्यों नौकरी करते व्यापार करते तनख्वाह लाते कितनी कमाई करोगे अपनी बीवी और बच्चों के लिए तुम जितना कमाओगे अपने परिवार के लिए कमाओगे. और जो तुमने अपना बीमा इकट्ठा किया है पैसे जोड़ जोड़ कर जो तुमने बीमा कराया है तुम्हारे मरने के बाद भी मिलेगा तो तुम्हारे परिवार को मिलेगा पर तुम नौकरी दुकानदारी काम करते करते जो तुमने भजन कर लिया मंत्र का जाप कर लिया वह तुम्हारे जिंदगी भर तुम्हारे साथ जाने वाला हाय अंत समय तक तुम्हारा साथ निभाने वाला है।
संस्कार देकर बच्चो को पढाकर लायक बनाए ..नही तो वो मां-बाप को नालायक समझने लगगे।
अच्छा पढ़ा लिखाकर आज मां-बाप ,अपने बेटा-बेटी का भविष्य तो बना देते हैं, पर वो मां-बाप को नालायक समझने लगते तब दिल दुखता है .यहाँ बड़ी गलती माँ बाप करते है. बच्चे को खूब पढ़ाते है,उसका भविष्य बनाकर ,उसे लायक बनाते है लेकिन संस्कार नही देते ,..यही कारण है कि वे मां-बाप को नालायक समझने लगते है, दिल तो तब दुखता है जब मरने के समय पर बूढ़े मां बाप को डॉ के पास दिखाने पड़ोसी के बच्चे ले जाते हैं।