प्रदेश सरकार के संरक्षण में हो रही टार्गेट किलिंग : भाजपा


रायपुर । विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने नक्सली आतंक पर काबू  पाने के प्रदेश सरकार के दावों को फर्जी बताते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार के संरक्षण में नक्सली लक्षित हत्या (टारगेट किलिंग) का सिलसिला बदस्तूर जारी रखे हुए हैं। उन्होंने बीजापुर जिले के भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व सरपंच काका अजुर्न की निर्मम हत्या की कड़ी भर्त्सना की और इसे नक्सलियों की कायराना हरकत बताया।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस तरह की टारगेट किलिंग प्रदेश सरकार के राजनीतिक षड्यंत्र को बेनकाब कर रही है। पिछले कुछ महीनों में बस्तर के विभिन्न इलाकों में लगातार भाजपा नेता, कार्यकर्ता, पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि नक्सलियों द्वारा लक्षित हत्या (टारगेट किलिंग) के शिकार बनाए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार बावजूद इसके नक्सली वारदातों पर नियंत्रण के झूठे दावे करके नक्सलियों के साथ अपनी रिश्तेदारी निभाने में लगी है। बस्तर में हर वह आदमी नक्सलियों के निशाने पर है जो पुलिस या बाहरी दुनिया से जुड़े हुए हैं। नक्सली उन निरपराध लोगों को चुन-चुनकर मार रहे हैं और बस्तर में दहशत की बादशाहत कायम कर रहे हैं। केवल मुखबिरी के शक में पिछले पाँच वर्षों में नक्सलियों ने 200 लोगों की जान ले ली। इस आँकड़े पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार को शर्म महसूस करनी चाहिए। पिछले तीन दिनों में ही नक्सलियों ने काका अर्जुन तथा उसूर ब्लॉक के ही आईपेंटा में ध्रुवा रम्मैय्या को मौत की नींद सुलाया है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार नक्सल मोर्चे पर पूरी तरह विफल सिद्ध हुई है। नक्सलियों को राजनीतिक संरक्षण देकर प्रदेश सरकार राजनीतिक हत्याओं का षड्यंत्र रच रही है। पिछले कुछ महीनों की वारदातें इस बात की तस्दीक कर रही हैं। नक्सलियों से भाईचारा निभाती प्रदेश सरकार से नक्सली आतंक पर काबू पाने की उम्मीद सिरे से बेमानी है। नक्सली लगातार बारुदी विस्फोट करके जवानों को मार रहे हैं, चुन-चुनकर निरपराध लोगों को मौत की नींद सुला रहे हैं और प्रदेश सरकार नक्सलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का केवल जुबानी जमा-खर्च कर रही है। अपने पूरे कार्यकाल में प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने एक भी ऐसा सख्त फैसला नहीं लिया, जिससे नक्सलियों का दुस्साहस पस्त होता दिखे। नक्सलवाद के नाम पर कोरा राजनीतिक प्रपंच रचकर प्रदेश सरकार खून की नदियाँ बहती देखकर भी अपनी झूठी वाहवाही कराकर इठलाने से बाज नहीं आ रही है।


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