नई दिल्ली। रेल में यात्रा करते समय यात्री अपने सामाना का जिम्मेदार खुद होता है, अगर सामान चोरी होता है तो इसके लिए यात्री खुद जिम्मेदार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए रेलवे को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आपका कोई सामान या पैसे चोरी होते हैं तो आप इसके लिए रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते बल्कि आपको खुद ही अपने पैसे और सामान का ध्यान रखना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”अगर ट्रेन की यात्रा करते समय यात्री के पैसे चोरी हो जाते है तो इसे रेलवे की सेवाओं में कमी के तौर पर नहीं माना जा सकता है।” इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जिला, राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें रेलवे को एक लाख रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया था।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच के मुताबिक, अगर ट्रेन में कोई सामान चोरी हो रहा है तो यह किसी भी तरह से रेलवे की सेवाओं में कमी नहीं मानी जा सकती है। यदि यात्री अपने सामान की सुरक्षा खुद नहीं कर सकता है तो इसके लिए रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि जब यात्री अपनी चीजों की हिफाजत नहीं कर पा रहे हैं तो चोरी होने पर रेलवे की तरफ से सेवाओं में कमी कैसे कही जा सकती है।
दरअसल, व्यापारी सुरेंद्र भोला 27 अप्रैल 2005 को काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस से नई दिल्ली जा रहे थे। उस दौरान उनके पास 1 लाख रुपये थे। इसी दौरान जब 28 अप्रैल को वो उठे तो उन्होंने पाया कि उनकी पेंट पर कट लगा हुआ था और उनके 1 लाख रुपये चोरी हो गए थे। जिसके बाद उन्होंने जीआरपी में एफआईआर दर्ज कराई। इसके बाद उन्होंने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई थी।