क्या है UPI पुल ट्रांजैक्शन? जिसे खत्म करने प्रयास कर रही NCPI, जानिए बड़ी वजह


Digital Fraud: यूपीआइ (UPI) के जरिए होने वाले फ्रॉड (Fraud) को रोकने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NCPI) बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक, एनसीपीआइ बैंकों के साथ मिलकर पुल ट्रांजैक्शन यानी मर्चेंट की ओर से ग्राहक को भेजे जाने वाले पेमेंट रिक्वेेस्ट को सीमित करने या खत्म करने पर विचार कर रहा है। डिजिटल पेमेंट सिस्टम (Digital Payment System) में भरोसे को बनाए रखने के लिए यह कदम काफी कदम साबित हो सकता है। ग्राहकों की सुरक्षा को देखते हुए यह कदम जरूरी माना जा रहा है। इसके लिए एनसीपीआइ की बैंकों के साथ शुरुआती चरण की बातचीत चल रही है।

बैंक के साथ मिल कर लेंगे फैसला

फिलहाल NPCI की बैंकों के साथ शुरुआती बातचीत चल रही है। NPCI यह फैसला बैंक के साथ मिल कर इसके आखिरी फैसले पर पहुंचेगा।









कैसे होता है फ्रॉड?

पुल ट्रांजैक्शन की सुविधा के तहत मर्चेंट अपने ग्राहक को पेमेंट रिक्वेस्ट भेजते हैं और ग्राहक उस रिक्वेस्ट को अप्रूव कर पेमेंट कर सकता है। यही फीचर यूपीआइ फ्रॉड के मामलों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। जालसाज फर्जी मर्चेंट बनकर ग्राहकों को पेमेंट रिक्वेस्ट भेजते हैं और ग्राहक अनजाने में पेमेंट अप्रूव कर बैठते हैं। एनसीपीआइ का मानना है कि इस सुविधा को सीमित या पूरी तरह खत्म करने से धोखाधड़ी के मामलों में कमी लाई जा सकती है। हालांकि इससे यूपीआइ पेमेंट की सुविधा में थोड़ी कमी जरूर आएगी, क्योंकि मर्चेंट्स के लिए ग्राहकों से सीधे पेमेंट रिक्वेस्टभेजने का ऑप्शन नहीं रहेगा।

27 हजार से ज्यादा शिकायतें

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लोकपाल के पास 27,000 से अधिक शिकायतें दर्ज की गईं। इनमें से 14,401 शिकायतें अप्रैल से जून 2024 के बीच और 12,744 शिकायतें जुलाई से सितंबर 2024 के दौरान प्राप्त हुईं। दिसंबर 2024 में प्रकाशित आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के मुताबिक, इस अवधि में प्राप्त कुल शिकायतों में से 70% से ज्यादा मामले ऋण और डिजिटल भुगतान से संबंधित थे। आरबीआई ने हाल ही में ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए जन जागरूकता अभियानों के महत्व को रेखांकित किया है।


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