दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ऑटो (स्वचालित) सिग्नलिंग लक्ष्य के प्रति निरंतर अग्रसर
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 में अभी तक 97 किलोमीटर स्वचालित सिग्नलिंग का कार्य पूर्ण
गत वित्तीय वर्ष 2023-24 में ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम की कमीशनिंग में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का सम्पूर्ण भारतीय रेलवे में रहा प्रथम स्थान”
रायपुर 04 अक्टूबर’ 2024
सिगनल एवं दूरसंचार के क्षेत्र में मील का पत्थर ऑटो सिग्नलिंग रेलवे का भविष्य है । यह ज्यादा से ज्यादा ट्रेन चलाने के साथ-साथ प्रमुख जंक्शन स्टेशन के ट्रैफिक को भी नियंत्रित करने में मदद करता है । पहले जहॅा दो स्टेशनों के बीच एक ही ट्रेन चल सकती थी वहीं स्वचालित सिग्नलिंग के द्वारा दो स्टेशन की बीच दूरी के अनुसार 4, 5 या 6 ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है । स्वचालित सिग्नलिंग व्यवस्था बिना किसी अतिरिक्त स्टेशनों के निर्माण और रखरखाव के ज्यादा से ज्यादा ट्रेन चलाने की सुविधा प्रदान करती है । वर्तमान में बिना नई लाईन का निर्माण किए सेक्शन की क्षमता बढाने का यह सर्वोत्तम उपाय है ।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने स्वचालित सिग्नलिंग के क्षेत्र मे उच्च मापदंड के हर नवीन सोपान को पूरा करते हुए वित्तीय वर्ष 2024 – 2025 मे अभी तक 97 किलोमीटर स्वचालित सिग्नलिंग के काम को पूरा किया है । कुम्हारी से सरोना (14 किलोमीटर), बिलासपुर जंक्शन पूर्व केबिन से गतौरा चौथी लाइन (4 किलोमीटर) तथा बोरतलाव से पनिआजोब तीसरी लाइन (8 किलोमीटर), अकलतरा से नैला (28 किलोमीटर), कलमना से कामठी (07 किलोमीटर), एवं नैला से चाम्पा (22 किलोमीटर) को स्वचालित सिग्नल में बदलने के काम को सफलतापूर्वक पूरा किया गया है । इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए बिल्हा से दगोरी अप लाइन, डाउन लाइन और मिडिल लाइन (14 किलोमीटर) को भी स्वचालित सिग्नल मे बदलने के काम को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है ।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ऑटो (स्वचालित) सिग्नलिंग लक्ष्य के प्रति निरंतर अग्रसित हो रहा है । यही कारण है की वर्ष 2023-2024 मे यह ज़ोन (दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे) स्वचालित सिग्नल के प्रवर्तन मे सभी जोनों मे प्रथम स्थान पर रहा है ।
स्वचालित सिग्नलिंग (बिल्हा- दगोरी) प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ:-
1) बिल्हा- दगोरी खंड एक अत्याधुनिक स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार है, जो रेल परिचालन में सटीकता और विश्वसनीयता के एक नए युग की शुरुआत करेगा । यह नवीन तकनीक पारंपरिक मैनुअल सिग्नलिंग प्रणाली को स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली मे बदल देती है, यह पद्धति मानवीय त्रुटि को कम करती है और ट्रेन परिचालन को नियंत्रित करती है ।
2) स्वचालित सिग्नलिंग परियोजना कमीशन होने के बाद कवच सिस्टम को भी लागु किया जा सकता है जिससे दुर्घटना की सम्भावना नगण्य हो जाती है ।
3) स्वचालित सिग्नलिंग के कार्यान्वयन के साथ ही बिल्हा- दगोरी अनुभाग के परिचालन दक्षता में उल्लेखनीय सुधार होगी । इससे मैन्युअल हस्तक्षेप पर निर्भरता कम होने से रेल परिचालन में समय की पाबंदी और सुगम परिचालन में वृद्धि होगी ।
4) रेल परिवहन की अच्छी कनेक्टिविटी से अंचल के विकास के साथ साथ प्रदेश का भी विकास होता है । जब प्रदेश का विकास होता है तो देश का भी सर्वांगीण विकास का रास्ता साफ होता है । देश को आगे बढ़ाने में रेल परिवहन का विस्तार और अधुनिकीकरण अतिआवश्यक है ।
छत्तीसगढ़ का रेलवे नेटवर्क एक परिवर्तनकारी यात्रा के शिखर पर है । वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में इस वर्ष बिल्हा- दगोरी सेक्सन एवं नैला-चाम्पा सेक्शन में आटोमेटिक सिग्नलिंग के प्रावधान होने से गेवरा-रोड से दगोरी तक सम्पूर्ण सेक्शन ट्रेनें आटोमेटिक सिग्नलिंग के अन्तर्गत चलेंगी, जिससे संरक्षित रेल परिचालन सुनिश्चित होगा । स्मार्ट प्रौद्योगिकी का समावेश न केवल सुरक्षा मानकों को बढ़ाने का वादा करता है बल्कि परिचालन दक्षता में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता भी रखता है ।