जशपुर। जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता विजय जामनिक को निलंबित कर दिया गया है। अवकाश में रहने के बाद स्वयं का वेतन आहरण करने जैसे आर्थिक अनियमिताओं और शासकीय कार्यों के संपादन में निष्क्रियता बरते जाने के चलते उप सचिव छत्तीसगढ़ शासन जल संसाधन विभाग रविंद्र मढ़कर ने कार्यपालन अभियंता विजय जामनिक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है, निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय कार्यालय मुख्य अभियंता हसदेव कछार बिलासपुर निर्धारित किया गया है।
तीन सदस्यीय समिति ने की जांच
विजय जामनिक के खिलाफ बिना सक्षम अधिकारी से अवकाश स्वीकृत कराये स्वयं का वेतन आहरण करने संबंधी आर्थिक अनियमितता तथा शासकीय कार्यों के संपादन में निष्क्रियता बरते जाने के बिन्दुओं तथा विभिन्न शिकायतों की जांच तीन सदस्यीय जांच समिति से कराई गई।
जांच समिति से प्राप्त प्रतिवेदन में उल्लेख है कि विजय जामनिक, कार्यपालन अभियंता, जल संसाधन संभाग, जशपुर द्वारा निर्माण कार्यों तथा इनसे संबंधित प्रशासकीय स्वीकृति, मुआवजा प्रकरणों की समीक्षा बैठक दिनांक 08, 09 एवं 10 जुलाई, 2024 में संभागाधीन समस्त प्रकरणों की प्रगति प्रगति अत्यंत दयनीय होने तथा जामनिक के विरुद्ध लगाये गये सभी आरोप सही पाया गया। जामनिक द्वारा संभाग अंतर्गत कार्यों में स्वेच्छाचारिता व पदीय दायित्वों से बाहर जाकर शासन एवं अन्य स्तर पर अनावश्यक पत्राचार कर छ०ग० सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम-3 का उल्लंघन किया गया।
उपर्युक्त स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए राज्य शासन एतद्वारा विजय जामनिक, कार्यपालन अभियंता, जल संसाधन संभाग जशपुर को छ०ग० सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के नियम-9 (1) (क) निहित प्रावधानांतर्गत तत्काल प्रभाव से निलंबित करता है। निलम्बन अवधि में इनका मुख्यालय कार्यालय मुख्य अभियंता, हसदेव कछार, बिलासपुर निधारित किया जाता है।
हाईकोर्ट को गलत जानकारी देने का आरोप
बीते दिनों जामनिक उस समय चर्चा में आये जब उन्होंने सरगुजा संभाग में हुए अपने ट्रांसफर को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। अपनी याचिका में उन्होंने न्यायालय को बताया था कि उनकी सेवा निवृति को कुछ महीने ही शेष है, इसलिए उनका ट्रांसफर नियम के विपरीत है। इसी आधार पर उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश मिल गया था।
इसके बाद इंटरनेट मिडिया में विभाग को जामनीक द्वारा लिखा गया पत्र सोशल मिडिया में वायरल हुआ था। जिसमें उन्होंने रिकार्ड में गड़बड़ी का दावा करते हुए बताया था कि उनकी सेवा निवृत्ति में एक साल का समय बचा हुआ है। उन्होंने अपनी जन्मतिथि को एक साल के बाद का बताया था। इसके विपरीत उन्होंने हाई कोर्ट को विभाग में दर्ज जन्मतिथि को ही बताकर स्टे ले लिया। इसके अलावा अभी कुछ ही दिनों पहले उन्होंने विभाग को लिखे पत्र में शिकायत की थी कि उनके कार्यालय में आये तीन कथित जांच अधिकारियों ने महत्वपूर्ण दस्तावेज की मूल प्रति को गायब कर दिया है।