बिलासपुर : प्रदेश के सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत पर हाईकोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की है। कोर्ट ने राज्य शासन को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने कहा है। इसके लिए शासन ने दो सप्ताह का समय मांगा, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।दरअसल, मीडिया में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर प्रकाशित खबरों पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका की तरह सुनवाई शुरू की है। मामले को लेकर पूर्व में हुई सुनवाई में शासन ने बताया था, कि राज्य सरकार ने पहले ही स्कूल भवनों और मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के सुधार के संबंध में कदम उठाए हैं। पूरे राज्य में स्कूलों की पहचान कर स्कूल प्रबंधन से रिपोर्ट मांगी गई है, और जरूरत के अनुसार मरम्मत और नवीनीकरण कराने के आदेश जारी किए गए हैं। बिलासपुर जिले की रिपोर्ट के अनुसार यहां 161 स्कूल ऐसे थे, जहां मरम्मत और उन्नयन किया गया। साथ ही आवश्यकता के मुताबिक नये कमरों का निर्माण किया गया।
याचिका में सुनवाई की प्रक्रिया के दौरान ही तिफरा के स्कूल, शासकीय प्राथमिक शाला देवनगर, शासकीय प्राथमिक शाला लिंगियाडीह, शासकीय प्राथमिक कन्या शाला बिरकोना, शासकीय प्राथमिक शाला आशाबंद, शासकीय उर्दू प्राथमिक शाला खपरगंज और शासकीय प्राथमिक शाला आशाबंद के संबंध में भी कुछ समाचार प्रकाशित हुए थे। इन विद्यालयों के संबंध में उक्त विद्यालयों के प्रधानाध्यापक से रिपोर्ट मांगी गई थी। जो स्कूल जर्जर हालत में थे, वहां मरम्मत का काम शुरू हो चुका है।