नई दिल्ली: दुनिया के कई देश जहां तेज गर्मी का सामना कर रहे हैं वहीं संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates), ओमान (Oman) और बहरीन (Bahrain) में लोग भारी बारिश से परेशान हो गए. ये दुनिया के वो इलाके हैं जो अपने सूखे रेगिस्तानों, चिलचिलाती गर्मी और चमचमाती इमारतों और वैभवपूर्ण ज़िंदगी र्के लिए जाने जाते हैं. इन देशों का मौसम साल भर लगभग गर्म ही रहता है. और गर्मियों में तो बेहद गर्म हो जाता है. जहां आसमान में बादल देखने को आंखें तरस जाती हैं. इन्हीं इलाकों के ऊपर से मंगलवार को काले बादलों का काफ़िला जो निकला तो इतना पानी अपने साथ लाया कि कुछ ही घंटे में संयुक्त अरब अमीरात के शानो शौकत भरे और ऊंची इमारतों वाले शहर दुबई तक को पानी में डुबा दिया.


बारिश ने मचाया हाहाकार
तेल की दौलत से बने ईंट कंक्रीट के इस आधुनिक जंगल की सड़कों, गलियों से पानी ऐसे बहने लगा जैसे नदी बहती है. सड़कों पर चल रही बेशकीमती और आधुनिक गाड़ियां पानी में डूबने उतराने लगीं. दुबई में कुछ ही घंटों के अंदर इतना पानी बरस गया जितना डेढ़ साल में बहता है. मंगलवार को 142 मिलीमीटर बारिश दुबई में दर्ज की गई जबकि साल भर में औसतन 95 मिलीमीटर बारिश ही मुश्किल से यहां हो पाती है. UAE के अल-आइन अमीरात में तो सबसे ज़्यादा 250 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई. इसी से अंदाज़ा लग सकता है कि कितना पानी अचानक बरस गया.

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एयरपोर्ट पर भर गया पानी
इस बरसात के लिए दुबई जैसा आधुनिकतम शहरों का मॉडल तैयार नहीं था तो संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और ओमान के बाकी इलाकों का तो क्या ही कहना. दुनिया के दूसरे सबसे व्यस्त हवाई अड्डे दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कई उड़ानें रद्द करनी पड़ीं. एयरपोर्ट पर पानी भर गया. शहर का ड्राइवरलेस मेट्रो सिस्टम तक भारी बारिश में नाकाम होने लगा. कई मेट्रो स्टेशन पानी में डूब गए.. सड़कों पर लोग अपनी गाड़ियों को छोड़कर बाहर निकल गए.. जिसे जहां शरण मिली, वो वहीं रुक गया… दुबई का आपदा राहत विभाग जो बहुत काबिल माना जाता है, वो भी कई घंटों तक राहत पहुंचाने में नाकाम रहा.
क्या यह ग्लोबल वॉर्मिग का है असर?
कुल मिलाकर सीमेंट कंक्रीट से पटा दुबई दिन भर इस एक्सट्रीम वेदर इवेंट से डरा सहमा रहा. जिस इलाके के लिए पीने का पानी ..तेल से कम क़ीमती न हो ..वहां इतना पानी बरस जाए तो सब हैरान होंगे ही. सवाल ये है कि संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और ओमान में इतनी बारिश हुई क्यों. इसके कई कारण हैं. इसकी वजह एक बड़ा तूफ़ान है जो अरब पेनिनसुला यानी अरब प्रायद्वीप से ओमान की खाड़ी की ओर जा रहा था. इसी मौसमी चक्र के कारण हवाएं नमी से भारी बादलों को ओमान और दक्षिण पूर्व ईरान की ओर भी ले गईं और वहां भी भारी बारिश हुई. मौसम के जानकार ग्लोबल वॉर्मिग को भी इस extreme weather event यानी चरम मौसमी घटना की वजह मान रहे हैं जो आने वाले दिनों में और बढ़ेंगी
क्लाउड सीडिंग को लेकर उठ रहे हैं सवाल
इस ग्लोबल वॉर्मिग के लिए हम सभी मिलकर ज़िम्मेदार हैं. दुनिया के किसी भी इलाके में प्रकृति से हो रहे खिलवाड़ का असर हज़ारों किलोमीटर दूर तक दिखाई देता है. कुछ जानकार कह रहे हैं कि अचानक हुई इतनी बारिश के पीछे क्लाउड सीडिंग भी वजह हो सकती है. समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में ऐसी संभावना जताई है. मौसम विभाग के एक विशेषज्ञ अहमद हबीब ने ब्लूमबर्ग को बताया कि क्लाउड सीडिंग के लिए बने विशेष विमानों ने बीते दो दिनों में संयुक्त अरब अमीरात के ऊपर क्लाउड सीडिंग के लिए छह बार उड़ान भरी.दरअसल पानी के लिए तरसने वाले संयुक्त अरब अमीरात में 2002 से क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन किए जाते रहे हैं… क्लाउड सीडिंग दरअसल कृत्रिम बारिश कराने का तरीका है.
संयुक्त अरब अमीरात ने क्लाउड सीडिंग से किया इनकार
इस प्रक्रियामें आम तौर पर एक कैमिकल सिल्वर आयोडाइड को विमानों के ज़रिए ऊपर बादलों के बीच स्प्रे किया जाता है. लेकिन इसके लिए बादलों में पर्याप्त मात्रा में नमी होनी चाहिए. सिल्वर आयोडाइड के ये कण एक न्यूक्लियाई का काम करते हैं जिसके चारों और पानी के कण जमा होने लगते हैं और बूंदें बनती हैं जो भारी होने पर नीचे बारिश के तौर पर गिरती हैं. लेकिन संयुक्त अरब अमीरात सिल्वर आयोडाइड जैसे कैमिकल की जगह potassium chloride जैसे कुदरती सॉल्ट का इस्तेमाल करता है. लेकिन इस बार क्लाउड सीडिंग नहीं की गई ये संयुक्त अरब अमीरात ने साफ़ कर दिया है.
चलिए बारिश कुदरती वजहों से हुई लेकिन दुबई का ये हाल क्यों हो गया. जानकार बता रहे हैं कि दुबई के शहरी सिस्टम का बड़ा हिस्सा ऐसी बारिश के लिए कभी बना ही नहीं. दुबई जैसे आधुनिक शहर तक के बुनियादी ढांचे में ड्रेनेज का सिस्टम बहुत सीमित और नाकाफ़ी है जिससे होकर बारिश का पानी आगे निकल जाए और ये तो ऐसी बारिश रही जो अच्छे से अच्छे सिस्टम का इम्तिहान ले लेती.