मध्यप्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव निकट आ रहा है, वैसे-वैसे दिग्गज नेताओं के बीच राजनीतिक जंग को लेकर मुंहवाद तेज हो रहा है। यहां तक कि अब नेता मतदाता से आग्रह करने की बजाय उज्जैन के भगवान महाकाल से प्रार्थना कर परस्पर विरोधियों से मुक्ति की प्रार्थना कर रहे हैं। जब नेता अपनी कार्यप्रणाली और जमीनी सोच से भटक जाते हैं, तब ईश्वर की शरण में चले जाते हैं। मनुश्य की यह गति अंधविष्वास को बढ़ावा देती है। प्रदेष के दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा में ताजा जो ट्विटर वाॅर सामने आया है, उसका निश्कर्श हताषा का यही दर्षन जताने वाला है। अभी तक नेता आपसी लड़ाई में भगवान को बीच में घसीटने से बचते थे, लेकिन अब भगवान ही राजनीतिक जंग में परिणाम का आधार बन रहे हैं।


प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बीते सप्ताह दो दिनी प्रवास पर उज्जैन में थे। यहां सिंह ने ट्विटर युद्ध की शुरुआत करते हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया कि, ‘हे प्रभु ! हे महाकाल ! दूसरे ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में पैदा न हों।‘ यह ट्विट जब सिंधिया ने पढ़ा तो उन्होंने उसी तेवर में पलटवार करते हुए लिखा कि ‘हे प्रभु महाकाल ! कृपया दिग्विजय सिंह जी जैसे देश विरोधी और मध्यप्रदेश के बंटाढार भारत में पैदा न हों।‘ दोनों नेताओं के इन ट्विट के बाद उनके निश्ठावान अनुयायी भी अपने-अपने ढंग से टिवट वाॅर में लग गए। इसके बाद जब उज्जैन में ही दिग्विजय सिंह का मीडिया से सामना हुआ तो इस ट्विट पर सिंधिया के संदर्भ में उत्तर देते हुए वे बोले, ‘पिछले चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को गिराने के लिए 25-25 करोड़ रुपए देने का आॅफर मेरे साथ ये जो विधायक बैठे हैं, इन्हें भी मिला था, लेकिन वे नहीं बिके, लेकिन राजा-महाराजा बिक गए। इसलिए बस यही कहूंगा कि हे प्रभू हे महाकाल कोई दूसरा ज्योतिरादित्य सिंधिया अब कांग्रेस में पैदा न हो।‘ इस बातचीत के समय दिग्विजय सिंह के साथ विधायक महेश परमार, रामलाल मालवीय, दिलीप सिंह गुर्जर बैठे हुए थे। सिंह ने मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले विधायकों की खरीद-फरोख्त रोकने के लिए ‘दल-बदल विरोधी कानून‘ को मजबूत करने की बात भी कही। सिंह ने कहा कि भाजपा धन बल की सरकार चलाती है। इसने महाकाल मंदिर का भी व्यवसायीकरण कर दिया है। पहले मंदिर में निषुल्क दर्षन की व्यवस्था थी, किंतु अब गर्भगृह से दर्षन करने के लिए 750 रुपए देने पड़ते हैं।

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इस ट्विटर वॉर के बाद सिंधिया समर्थक नेताओं के जो ट्वीट और बयान सामने आए, उनसे पता चलता है कि हमारे नेता संविधान से कहीं ज्यादा ब्रह्माण्ड के ज्ञाता है। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने प्रतिउत्तर देते हुए लिखा कि ‘हे महाकाल ! अतएव ब्रह्माण्ड में दिग्गी राजा जैसा तत्व सूक्ष्म रूप में भी कभी जन्म न लें। धर्म, समाज, देष और मनुश्यता की रक्षा करो हे महाराजाधिराज !‘ आगे पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ने लिखा कि ‘हे तीनों लोकों के स्वामी, महाकाल प्रभु ! दिग्विजय सिंह जैसे व्यक्ति को जिसने, कांग्रेस को पूरी तरह बंटाढार कर दिया है, इसलिए महाकाल प्रभु से मेरी यही कामना है कि दिग्विजय सिंह को अगले जन्म में पाकिस्तान में पैदा करना।‘ इन दो जानी-दुष्मनों के बीच आखिरकार मुख्यमंत्री षिवराज सिंह भी कुंद पड़े। आग में घी डालते हुए उन्होंने कहा कि ‘सिंधिया गद्दार नहीं, बल्कि खुद्दार है। वे कांग्रेस में रहते हुए आखिर कितना अपमान सहते। चुनाव लड़ा सिंधिया के नाम पर और बुजुर्ग कमलनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया। तिस पर भी विडंबना थी कि सरकार कमलनाथ नहीं दिग्गी राजा चला रहे थे। कमलनाथ तो नाममात्र के मुख्यमंत्री का चेहरा थे। बार-बार सिंधिया और उनके समर्थक मंत्री व विधायक सरकार का जन-समस्याओं की ओर ध्यान खींच रहे थे, लेकिन अपने अहंकार के वषीभूत कमलनाथ ने कोई ध्यान नहीं दिया। आखिर में सिंधिया को कहना पड़ा कि काम नहीं किए तो सड़कों पर उतर जाएंगे। कमलनाथ ने कह दिया सड़कों पर उतर जाओ। आखिर कोई खुद्दार नेता इस अहम् को कैसे बर्दाष्त करता। आखिरकार सिंधिया ने इस्तीफा दिया और चुनाव लड़ा। परंतु आज भी कांग्रेस में छोटेपन और ओछेपन की होड़ लगी हुई है। प्रत्येक नेता दूसरे नेता को छोटा करने वाले बयान दे रहा है। इस होड़ में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह समेत सब कांग्रेसी षामिल रहते हुए, सूत ना कपास जुलाहों में लट्ठम-लट्ठा कहावत को चरितार्थ करने में लगे है। अब भगवान जाने कांग्रेस का क्या हश्र होगा।‘
इस जंग में जब राश्ट्रीय महासचिव कैलाष विजयवर्गीय महाकाल के दर्षन उज्जैन पहुंचे तो वे भी इस मुद्दे पर दोनों नेताओं को नैतिकता की नसीहत का पाठ पढ़ाने से नहीं चूके। कैलाष ने कहा कि दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेता को अपनी भाशा की मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए। क्योंकि मध्यप्रदेष में विपक्ष का सम्मान करने की परंपरा रही है। हालांकि सिंह मर्यादा रखते हैं, लेकिन कैसे बोल गए पता नहीं। जब उनसे पूछा गया कि सिंह ने कहा है कि 2018 की तरह हम फिर चुनाव जीतेंगे। तब कैलाश ने उत्तर दिया कि भाजपा दो तिहाई से ज्यादा बहुमत से अपनी सरकार बनाएगी। बहरहाल चुनाव निकट आते-आते यह जंग और दिलचस्प एवं तल्ख दिखाई देगी, ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है।