रायपुर। छत्तीसगढ़ में एक ओर डेंगू लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है । डेंगू के मरीज बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंच रहे हैं और स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत बनाए गए कार्ड से निजी एवं सरकारी अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं। वही डेंगू कुछ निजी अस्पतालों के लिए बड़ा फर्जीवाड़ा का जरिया बन चुका है। स्वास्थ्य बीमा योजना की राशि पाने के लिए कुछ निजी अस्पतालों ने भ्रष्टाचार की सभी सीमाओं को लांघ कर डेंगू के इलाज के नाम पर फर्जीवाड़ा करने लगे हैं। जिसका आज राजधानी रायपुर में बड़ा खुलासा हुआ है। बुखार के 220 मरीजों को डेंगू पीड़ित बताकर भर्ती कर लिया गया था। उसके बाद आयुष्मान योजना के तहत 35-35 हजार के हिसाब से स्वास्थ्य विभाग से 77 लाख का क्लेम मांगा गया।
केवल 3 मरीजों का हुआ टेस्ट
पिछले महीने प्रदेश में वायरल फीवर फैला हुआ था तब शहर और आउटर के 25 से ज्यादा अस्पतालों में मरीजों को डेंगू पीड़ित बताकर भर्ती कर किया गया था। मरीजों को क्लेम देने के पहले स्वास्थ्य विभाग ने उन अस्पतालों से मरीजों की अलाइजा टेस्ट रिपोर्ट मांगी तब यह फर्जीवाड़ा सामने आया। स्वास्थ्य विभाग को किसी भी नर्सिंग होम के डाक्टरों ने रिपोर्ट नहीं दी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच करवाई तो पता चला कि 220 में केवल 3 मरीजों का ही एलाइजा टेस्ट करवाया गया है।
अस्पतालों को महामारी एक्ट के तहत जारी किया नोटिस
उसके बाद स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से 25 अस्पतालों को महामारी एक्ट के तहत नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस एक्ट के तहत गलत जानकारी देने या बीमारी को लेकर लापरवाही बरतने में एक माह तक की सजा का प्रावधान है। नोटिस में पूछा है कि उनकी ओर से मरीज को डेंगू की पुष्टि के लिए कौन सी जांच करवाई गई। शक है कि केवल क्लेम पाने के लिए साधारण बुखार के मरीजों को गलत जानकारी देकर भर्ती कर लिया गया।
डेंगू पीड़ितों के लिए एलाइजा टेस्ट जरूरी
गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की डेंगू को लेकर स्पष्ट गाइड लाइन है। उसके तहत एलाइजा टेस्ट के बिना किसी भी मरीज को डेंगू पीड़ित नहीं माना जा सकता। मरीज में डेंगू के लक्षण देखकर उसी गाइड लाइन से इलाज को शुरू करना है, लेकिन इसी दौरान वायरोलॉजी लैब में एलाइजा टेस्ट करवाना जरूरी है। प्राइवेट नर्सिंग होम के संचालकों ने इसका पालन नहीं किया है।