नरेंद्र मोदी सरकार कर रही यात्री सेवा सुविधा रेलवे को ख़त्म करने की साजिश – शैलेश नितिन त्रिवेदी


गरियाबंद – छत्तीसगढ़ में ट्रेनों के परिवहन बंद किये जाने के विरोध में कांग्रेस चरणबद्व आंदोलन के पहले दिन शनिवार को जिला मुख्यालय में गरियाबंद में छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने प्रेस कांफ्रेंस की। कांफ्रेंस में शैलेश ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार देश की सबसे विश्वसनीय यात्री सेवा सुविधा रेलवे विश्वसनीयता को खत्म कर उसे निजी हाथों में बेचने की साजिश रची जा रही है। वर्षों तक भारतीय रेल आम जनता के लिए विश्वसनीय, सस्ता और सुलभ परिवहन का पर्याय हुआ करती थी, लेकिन मोदी राज में रेलवे को बदनाम करने की साजिश चल रही है ताकि लोग रेलवे से ऊब जाएं और मोदी रेलवे को अपने उद्योगपति मित्रों को सौंप दें।


उन्होंने कहा कभी यात्री ट्रेनों को बिना किसी ठोस कारण और बिना वजह अचानक रद्द कर दिया जाता है। कभी रेलवे यात्री ट्रेनों को महीनों और हफ्तों तक बंद करने का आदेश जारी करता है। रेलवे और केंद्र सरकार को उन नागरिकों की समस्याओं की कोई चिंता नहीं है जो महीनों पहले अपनी यात्रा की योजना बनाते हैं और आरक्षण कराते हैं। रेलवे यात्रियों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं करता है। जिससे छत्तीसगढ़ में लोगो को काफी परेशानी और दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने बताया कि पिछले साढ़े तीन साल में 67382 ट्रेनें रद्द हुईं है। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2020 में 32757 ट्रेनें रद्द हुईं। साल 2021 में 32151 ट्रेनें रद्द हुईं। 2022 में 2474 ट्रेनें रद्द हुईं। वर्ष 2023 में (अप्रैल माह तक) 208 ट्रेनें रद्द की गई। वर्तमान में अगस्त 2023 के अंत तक 24 ट्रेनें रद्द की गई हैं।

शैलेश ने आरोप लगाया कि भाजपा शासन में रेलवे में वरिष्ठ नागरिकों, छात्रों को दी जाने वाली रियायतें खत्म कर दी। किराया बेतहाशा बढ़ गया। प्लेटफार्म टिकट की कीमत दुगुनी हो गई। जिससे दैनिक यात्री, सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारी, पढ़ने वाले छात्र, श्रमिक, नौकरी पेशा और आम यात्री सभी मोदी राज में उपेक्षित और प्रताड़ित हैं। छत्तीसगढ़ के लाखों रेल यात्रियों, छोटे मजदूरों, कर्मचारियों, छात्रों, स्टेशन कुलियों और ऑटो चालकों की समस्या पर भाजपा नेता इतराकर बैठे हैं। मोदी शाह की तानाशाही के डर से भाजपा के वरिष्ठ प्रतिनिधि भी प्रदर्शन करने से भाग रहे हैं।


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