राष्ट्रपति मुर्मू ने विद्यार्थियों के आत्महत्या की घटनाओं पर जताई चिंता, कहा – जीवन की चुनौतियों का करें सामना


रायपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सड्ढू स्थित ब्रम्हकुमारी आश्रम शांति सरोवर में आयोजित सकारात्मक परिवर्तन वर्ष के आयोजन में शामिल हुईं। इस मौके पर उन्होंने नीट में असफल दो विद्यार्थियों की खुदकुशी की घटना पर चिंता जताई, और कहा ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए बल्कि हमें प्रतिस्पर्धा को सकारात्मक रूप से लेना चाहिए, हार-जीत तो होती रहती है।


उड़ीसा से शुरू हुआ यह कार्यक्रम

इस कार्यक्रम में राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन, और सीएम भूपेश बघेल भी थे। उन्होंने कहा कि पूरी मानवता के कल्याण के लिए ब्रह्मकुमारी परिवार बहुत अच्छा कार्य कर रही है। सकारात्मक परिवर्तन को लेकर ओडिशा में यह कार्यक्रम शुरू हुआ है और मैं आज यहाँ आप सभी के बीच में भी हूँ।

उन्होंने कहा कि एक ओर हमारा देश नित-नई ऊंचाइयों को छू रहा है, चांद पर तिरंगा लहरा रहा है या विश्वस्तर खेल में कीर्तिमान रच रहा है। हमारे देशवासी अनेक नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं।

बच्चो पर कॉम्पिटिशन का दबाव

राष्ट्रपति ने कहा कि बच्चों पर कांपिटिशन का प्रेशर है। जितना जरूरी उनका करियर है, उतना ही जरूरी है कि वे जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकें। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इस पाजिटिव थीम की सहायता से हम उन बच्चों की मदद कर सकते हैं जो बच्चे आधी-अधूरी जिंदगी जी कर चले जाते हैं। हर बच्चे में अपनी विशिष्ट प्रतिभा है। वे अपनी रुचि को जानकर इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

बच्चे होते हैं शार्प माइंड मगर धैर्य की होती है कमी

उन्होंने कहा कि यह युग साइंटिफिक युग है। अभी के बच्चे बहुत शार्प माइंड के होते हैं। थोड़ा धैर्य कम होता है। हमारे ब्रह्मकुमारी परिवार के सदस्य कई बरसों से इस दिशा में काम कर रहे हैं। मेरी आध्यात्मिक यात्रा में भी ब्रह्मकुमारी संस्था ने मेरा बहुत साथ दिया है। जब मेरे जीवन में कठिनाई थी तब मैं उनके पास जाती थी।

श्रीमती मुर्मू ने कहा कि उनका रास्ता कठिन है पर कष्ट सहने से ही कृष्ण मिलते हैं इसलिए धैर्य का जीवन जीना चाहिए। कष्ट सहकर ही हम सफलता हासिल कर सकते हैं। ब्रह्मकुमारी का रास्ता मुझे बहुत अच्छा लगा। आप सहजता से काम करते हुए आप अपनी जिंदगी को बेहतर तरीके से जी सकते हैं। जिंदगी जीने की कला वो सिखाते हैं।

थोड़ा समय मोबाइल से दूर रहकर बिताएं

राष्ट्रपति ने कहा कि आत्मविश्वास ही ऐसी पूंजी है जिससे हम अपना रास्ता ढूंढ सकते हैं। हम सभी टेक्नालाजी के युग में जी रहे हैं। बच्चे आर्टिफिशियल इंजीनियरिंग की बात कर रहे हैं लेकिन यह भी जरूरी है कि दिन का कुछ समय मोबाइल से दूर रहकर भी बिताएं।

उन्होंने आगे कहा कि साइंस और टेक्नालाजी के साथ आध्यात्मिकता को भी जोड़े तो जीवन आसान हो जाएगा। जिंदगी को कैसे सफलता से जियें, किस तरह सुख से जीवन जियें, इसका रास्ता बहुत सरल है। हम केवल एक शरीर नहीं हैं। हम एक आत्मा हैं। परम पिता परमात्मा का अभिन्न अंग है। धैर्य सुख का रास्ता है। यह कठिन है लेकिन अभ्यास से यह रास्ता भी सहज हो जाता है।


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