रमन राज में आदिवासियों का शोषण हुआ : कांग्रेस


कांग्रेस राज आदिवासी समाज के लिये स्वर्णिमकाल : बैज


रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि कांग्रेस राज आदिवासी समाज के लिये स्वर्णिम है। पिछले पांच साल में आदिवासी समाज के उत्थान के लिये मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में अनेको महत्वपूर्ण योजनाएं बनाकर उनका प्रभावी क्रियान्वयन करवाया गया है जिससे आदिवासी समाज के लोगों के जीवन स्तर पर व्यापक परिवर्तन आया है। कांग्रेस सरकार ने पांच साल में आदिवासी वर्ग के शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य के एवं कानूनी अधिकार के लिये अनेको कार्य किया। कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों से किए वादों को पूरा किया। चार साल में आदिवासी वर्ग के हित के लिए अनेक जनकल्याणकारी योजना बनाई गई। आदिवासियों के शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, जल, जंगल, जमीन, उनके कानूनी अधिकारों के लिए काम किया गया है। विश्व आदिवासी दिवस के दिन 9 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश, राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन सहित अनेक जनकल्याणकारी योजना बनाकर आदिवासी वर्ग को आर्थिक रूप से मजबूत सक्षम बनाने के लिए काम किया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने आदिवासी वर्ग के चहुंमुखी विकास के लिए रोजगार मूलक योजनाएं बनाई। बस्तर क्षेत्र में आदिवासी के वर्ग शिक्षा के लिए 300 से अधिक बंद स्कूलों को खोला गया। नक्सलवाद को खत्म करने के लिए विश्वास, विकास और सुरक्षा के नीतियों के तहत काम किया गया। रमन सरकार के दौरान दस गांवों के 1707 आदिवासी परिवार से छीनी गई 4200 एकड़ जमीन को लौटाई गई, जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों को जेल से मुक्त कराया गया।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि तेंदूपत्ता का मानक दर 2500 रु से बढ़ाकर 4000 रु प्रति बोरा किया गया, 65 वनोपज की समर्थन मूल्य में खरीदी की गई, चरणपादुका खरीदने नगद राशि दी गई, बस्तर में मक्का प्रोसेसिंग प्लांट लगाया गया। पेशा के नियम बनाये गये। 24827 व्यक्तिगत 20,000 से अधिक सामुदायिक व 2200 वन संसाधन पट्टे वितरित किए गए, 16 लाख से अधिक हेक्टर भूमि आदिवासी वर्ग को वितरित किया गया है। 4,38,000 से अधिक व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र वितरित किया गया। 44,300 से अधिक सामुदायिक वन अधिकार पत्र वितरित किया गया। 2175 से अधिक वन संसाधन अधिकार ग्राम सभा को प्रदान की गई। मिलेट मिशन शुरू किया गया और बस्तर के वनोपज को देश-विदेश तक पहुँचाया गया।

उन्होंने कहा कि रमन सिंह का शासनकाल आदिवासियों के लिये शोषण और परेशानी का समय था। आदिवासी भूमि संशोधन विधेयक लाकर आदिवासियों की जमीनों को हड़पने का कानून रमन सिंह ने बनाया था। कांग्रेस के विरोध के बाद वापस लिया गया। बस्तर में लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की जमीनो को टाटा संयंत्र नहीं लगने के बाद भी वापस नहीं किया जबकि भू-अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुसार जमीन वापस करने कानून है। रमन सरकार ने आदिवासियों की जमीन लैड बैंक बनाकर खुद रख लिया। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनकी जमीनों को वापस करवाया। वन अधिकार पट्टे और पेसा कानून को लटका कर रख गया था। रमन राज में बस्तर सरगुजा में आदिवासियों के मौलिक और संवैधानिक अधिकार रद्द कर दिये गये थे। उनके जबरिया जेलों में बंद कर दिया गया था। उनकी हत्याये होती यही कारण था आदिवासी समुदाय ने भाजपा का तिरस्कार कर दिया था।


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