रायपुर। राजधानी समेत पूरे छत्तीसगढ़ में पिंक आई के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। बीते 24 घंटे में आंबेडकर अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में 200 में से 120 मरीज पिंक आई के सामने आए। स्थिति यह थी कि विभाग के कई चिकित्सकीय स्टाफ भी संक्रमित हो गए। इसे देखते हुए नेत्र रोग विभाग में आपात सर्जरी को छोड़ बाकी सभी आपरेशन स्थगित कर दिए गए हैं।
इधर, जिला अस्पताल में भी हर दिन 30 से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। इसी तरह स्वास्थ्य केंद्रों में भी आंख के 30 से 40 प्रतिशत मरीज पिंक आई के हैं। भिलाई में दो दिनों में 2000 केस आए हैं तो बालोद में 12 दिनों में 1200 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं। यही हाल अन्य जिलों का भी बताया जा रहा है
चिकित्सकों ने बताया कि बारिश, नमी और दूषित जल से कई तरह के बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं, जिनमें से कुछ आंखों के संक्रमण का कारण बनता है। बारिश के दिनों में हवा में नमी बढ़ने के कारण वायरस और बैक्टीरिया का खतरा बढ़ जाता है। इससे आंखों में कंजक्टिवाइटिस, रेडनेस, आई फ्लू आदि की समस्या होने लगती है।
कंजक्टिवाइटिस वायरस और बैक्टीरिया से फैलता है, जिसके चलते यह एक से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है। ज्यादातर यह समस्या सामान्य इलाज से ही ठीक हो जाती है। इसके गंभीर होने का खतरा कम होता है। चूंकि आंख सबसे ज्यादा संवेदनशील अंग है, इसलिए इनका विशेष ख्याल रखने की जरूरत होती है। एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस होने पर खुजली, आंखों से पानी आना और सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
तेजी से फैलती है बीमारी
संचालक, महामारी नियंत्रण डा. सुभाष मिश्रा ने बताया कि कंजक्टिवाइटिस संक्रामक बीमारी है, जो संपर्क से फैलती है। मरीज को अपनी आंखों को हाथ नहीं लगाने की सलाह दी जाती है। मरीज के उपयोग की चीजों को अलग रखकर इस बीमारी के फैलाव को रोका जा सकता है। संक्रमित आंख को देखने से इस बीमारी के फैलने की धारणा केवल भ्रम है। यह बीमारी केवल संपर्क से ही फैलती है।
यह है बीमारी के लक्षण
आई फ्लू में आंखें लाल हो जाती हैं। आंखों से पानी आने लगता है, जलन होती है, पलकों पर पीला और चिपचिपा तरल जमा होने लगता है। आंखों में चुभन होने के साथ-साथ सूजन आ जाती है। आंखों से पानी आना और खुजली होना इसके सामान्यतः दिखाई देने वाले लक्षण हैं। अगर इन्फेक्शन गहरा हो तो आंखों की कॉर्निया को भी नुकसान हो सकता है जिससे आंखों की दृष्टि प्रभावित हो सकती है। मानसून सीजन में आई फ्लू का खतरा बच्चों में सबसे ज्यादा होता है।
बचाव के लिए करें उपाय
नेत्र रोग विशेषज्ञ डाक्टर संतोष सिंह पटेल ने कहा कि पीड़ित आंखों की सफाई का पूरा ध्यान रखें। ठंडे पानी से बार-बार धोएं। किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें। बार-बार आंखों पर हाथ न लगाएं। आंखों में आई ड्राप डालने से पहले हाथों को अच्छी तरह धो लें। आंखों पर बर्फ की सिकाई जलन और दर्द से राहत दिलाती है। संक्रमण के दौरान गंदगी और ज्यादा भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। संक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएं और उनकी चीजें जैसे चश्मा, तौलिया, तकिया आदि साझा ना करें।
आंबेडकर अस्पताल नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा. निधि पांडेय ने कहा, पिंक आई के केस काफी बढ़ गए हैं। एक दिन में हमारे पास 120 मरीज पहुंचे। जबकि इससे पूर्व एक दिन में अधिकतम 60 केस आए थे। स्थिति को देखते हुए हमने इमरजेंसी आपरेशन को छोड़ बाकि स्थगित कर दिया है। लोग अभी सावधानी बरतें।