रायपुर । छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने कांग्रेस घोषणा पत्र समिति का अध्यक्ष पद लेने से इनकार कर दिया है। जिसके बाद चुनाव से जुड़ी इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मंत्री मोहम्मद अकबर को दिए जाने की खबर है।
हाईकमान की ओर से इस जिम्मेदारी के लिए ऐसे चेहरे की तलाश की गई, जिसकी राजनीतिक समझ तो बेहतर हो ही साथ ही प्रदेश की तासीर के साथ जनभावनाओं को भी बखूबी समझता हो और इन सभी मापदण्डों में मंत्री अकबर बिल्कुल फिट बैठते हैं।
अकबर कांग्रेस का परखा और खरा चेहरा भी है इसलिए इनका घोषणा पत्र समिति का अध्यक्ष बनना लगभग तय हो गया है।
दिल्ली में हुई बैठक के दौरान ही टीएस सिंहदेव ने ये कह दिया था कि उन्हें घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष की जिम्मेदारी ना दी जाए और उसके बाद वहां राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ मौजूद प्रदेश के तमाम नेताओं के बीच हुई चर्चा में अकबर के नाम पर सहमति बनी। संगठन जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा कर सकती है।
इन चेहरों पर भी हुई बात
सूत्रों की मानें तो घोषणा पत्र समिति के लिए बैठक में मंत्री शिव डहरिया, अमरजीत भगत, ताम्रध्वज साहू और सांसद दीपक बैज के नाम को लेकर भी मंथन हुआ लेकिन घोषणा पत्र अध्यक्ष के लिए सबसे उपर मोहम्मद अकबर का ही नाम है। बताया जा रहा है जल्द ही पार्टी की तरफ से इसका औपचारिक ऐलान किया जाएगा और अगर अंतिम समय में कोई बदलाव होता है तब भी बाकी 4 नामों में से ही किसी को भी घोषणा पत्र समिति का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
इसके अलावा कांग्रेस की 6 और कमेटियों में नाम तय किए जा चुके हैं, जिनको अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है। खास बात यह है कि इस बार इस सूची में वरिष्ठ विधायक धनेन्द्र साहू को भी जगह मिली है। बताया जा रहा है कि पार्टी इस वक्त हर तरह से बैलेंस बनाने में लगी है इसलिए जिम्मेदारी भी उसी तरह से तैयार की गई है। दिल्ली में हुई बैठक में ही घोषणा पत्र समिति और कमेटियों के नाम तय कर लिए गए हैं और औपचारिक ऐलान ही बाकी है।
6 अन्य कमेटियों के नाम भी तय हुए
पॉलिटिकल अफेयर – कुमारी सैलजा, प्रदेश प्रभारी
चुनाव अभियान समिति – चरणदास महंत, स्पीकर
प्रदेश चुनाव समिति – मोहन मरकाम, पीसीसी अध्यक्ष
प्रचार-प्रसार समिति – शिव डहरिया, मंत्री
चुनाव अनुशासन समिति – धनेन्द्र साहू, वरिष्ठ विधायक
चुनाव समन्वय समिति – ताम्रध्वज साहू, मंत्री
टीएस सिंहदेव के इनकार की वजह
सरकार हमेशा से यहा दावा करती रही है कि घोषणा पत्र के ज्यादातर वादे पूरे किए गए लेकिन इन दावों से टीएस सिंहदेव हमेशा ही असंतुष्ट नजर आए। कई बार उनकी तरफ से ये खुलकर कहा गया कि घोषणा पत्र के ज्यादातर वादे पूरे किए गए लेकिन कई अहम वादे छूट भी गए जिन्हें पूरा करना बेहद जरूरी था। इसमें संविदा, अनियमित और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग सबसे ऊपर थी। हांलाकि उस समय ये भी कहा गया कि टीएस सिंहदेव की असंतुष्टि का कारण ढाई-ढाई साल का मसला और सीएम भूपेश बघेल और उनके बीच खींचतान है।
टीएस सिंहदेव ने क्या कहा था
टीएस सिंहदेव ने कहा कि, कांग्रेस की घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष के रूप में तो मैं नहीं रहूंगा। उन्होंने कहा कि अब समय उतना नहीं बचा कि सभी से बात हो सके। सिंहदेव ने कहा कि, मैंने कहा भी है मैं समिति में नहीं रहना चाहूंगा, लेकिन सदस्य के रूप में या फीडबैक देने के लिए मैं हमेशा उपलब्ध हूं। पिछले विधानसभा चुनाव में सिंहदेव ने ही घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी। उन्होंने आम लोगों से बात कर कांग्रेस का मेनिफेस्टो तैयार किया था। जिसके बाद चुनाव में कांग्रेस को बंपर जीत मिली थी।