छत्तीसगढ़ में मंहगी होगी शराब? जानिए, क्यों बना यह चर्चा का विषय…


आबकारी से राजस्व बढ़ाने की तैयारी में सरकार

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में शराबबंदी काफी समय से एक ज्वलंत मुद्दा रहा है। जबकि शराब से एक बड़ा राजस्व सरकार को मिलता है, यह शराबबंदी के सिक्के का दूसरा पहलू है। प्रदेश में साल दर साल शराब के राजस्व को बढ़ाया जा रहा है। वर्ष 2025-26 में शराब से राजस्व का लक्ष्य तय करने की तैयारी चल रही है।







वहीं, 2024-25 में बजट में राजस्व प्राप्ति के स्त्रोत के रूप में आबकारी विभाग ने 11 हजार करोड़ रूपए का लक्ष्य निर्धारित किया था। हालांकि, टार्गेट पूरा नहीं हो सका। अब विभाग 2025-26 के लिए राजस्व का लक्ष्य बढ़ाकर 12 हजार 500 करोड़ रूपए करने की तैयारी है।

यह पिछले वित्तीय वर्ष के हिसाब से डेढ़ हजार करोड़ रूपए ज्यादा होगा। इसकी घोषणा बजट में की जाएगी लेकिन इस अनुमानित टारगेट को पूरा करने के लिए आबकारी विभाग ने अभी से कई योजनाओं पर काम करना शुरू कर दिया है। जानकारों के मुताबिक कुछ शराब के रेट बढ़ाए जा सकते हैं।

सूत्रों के अनुसार शराब की कई ब्रांड ऐसी है जो हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा में काफी सस्ती है। इस शराब को तस्कर छत्तीसगढ़ लाते हैं और होटल-बार वालों को सस्ते में सप्लाई कर दिया जाता है। इन्हें चोरी-छिपे होटल, बार, रेस्टॉरेंट और ढाबों में अधिक दामों पर बेचा जाता है, जिससे बड़ा मुनाफा कमाया जाता है। यह एक वजह है कि दूसरे राज्यों से शराब की तस्करी बंद नहीं हो रही है। इससे आबकारी विभाग को काफी नुकसान उठाना पड़ता है और राजस्व का लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाता है।

रेस्टोरेंट-ढाबों को अनुमति
आबकारी विभाग ने बार के अलावा अब रेस्टॉरेंट और ढाबों में भी शराब पिलाने की छूट दी है। इसके लिए रेस्टॉरेंट और ढाबा संचालकों को अलग-अलग कैटेगरी का आबकारी लाइसेंस लेना पड़ेगा। प्रदेशभर में अब तक केवल रेस्टॉरेंट वालों ने लाइसेंस लिया है। विभाग के अधिकारियों का दावा है कि मार्च-अप्रैल के बाद लाइसेंस लेने वालों की संख्या बढ़ेगी। पिछले साल शराब से राजस्व लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है। इसके लिए प्रयास किए जाते हैं। बजट के संभावित नए लक्ष्य को लेकर भी तैयारी है।


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