0 बिल के खिलाफ अब तक सुप्रीम कोर्ट में 4 याचिकाएं दाखिल








नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक को अब राष्ट्रपति मुर्मू की भी मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक अब कानून बन गया है। केंद्र सरकार ने इस बाबत अधिसूचना भी जारी कर दी है। अब जबकि यह विधेयक कानून बन गया है तो इसका व्यापक असर होगा।
संसद के दोनों सदनों में मैराथन चर्चा के बाद यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एंपावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट विधेयक (उम्मीद) 2025 राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून बन गया। इस कानून में कई प्रावधानों में संशोधन किया गया है। इसके तहत वक्फ बोर्ड अब किसी भी संपत्ति पर मनमाने तरीके से दावा नहीं कर सकता है। विवाद की स्थिति में अदालत में भी चुनौती दी जा सकती है और पांच साल तक इस्लाम का पालन करने वाला ही वक्फ को संपत्ति दान कर सकता है। इसके साथ ही मुसलमान वक्फ (निरसन) बिल 2024 को भी राष्ट्रपति मुर्मू ने मंजूरी दे दी है।
क्या नया लाया यह कानून?
वक्फ संशोधन बिल 1995 के मूल अधिनियम में बड़े बदलाव लेकर आया है। इसका लक्ष्य वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता, संपत्तियों के दुरुपयोग पर रोक और समाज के हर वर्ग को जोड़ना है। कुछ प्रमुख बदलाव इस तरह हैं:
गैर मुस्लिम सदस्य हो सकेंगे शामिल: वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में अब गैर-मुस्लिम सदस्यों और महिलाओं की भागीदारी अनिवार्य होगी। यह कदम लैंगिक समानता और सामाजिक समावेश को बढ़ावा देगा। इस्लाम धर्म के एक विशेषज्ञ का बोर्ड का सदस्य होना जरूरी है। निर्णय लेने में गैर मुस्लिम, अन्य मुस्लिम, पसमांदा मुस्लिम , पिछड़े मुस्लिम और महिलाओं को भी शामिल किया जाएगा।
जिला कलेक्टर की भूमिका: पहले सर्वेक्षण आयुक्त वक्फ संपत्तियों की जांच करते थे, लेकिन अब यह जिम्मा जिला कलेक्टर को सौंपा गया है, जिससे प्रक्रिया और पारदर्शी होगी।
संपत्ति सत्यापन: किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले सत्यापन अति आवश्यक। बिना दस्तावेज और सत्यापन के कोई जमीन वक्फ संपत्ति घोषित नहीं होगी। यह नियम सरकारी जमीनों पर भी लागू होगा, जिससे अवैध कब्जे रुकेंगे।
न्यायिक मजबूती: वक्फ से जुड़े 31,000 से अधिक लंबित मामलों को देखते हुए ट्रिब्यूनल को सशक्त किया गया है, और उनके फैसलों को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।
आदिवासियों का हित संरक्षण: सरकार ने संविधान की 5वीं और 6ठी अनुसूची का हवाला देते हुए आदिवासी इलाकों में वक्फ संपत्ति घोषित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका अर्थ है कि करीब-करीब पूरा पूर्वोत्तर, समूचे झारखंड और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, गुजरात सहित देश के कई राज्यों के आदिवासी इलाकों की जमीन और संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकेगा।
गैर मुस्लिम नहीं कर सकेंगे वक्फ: पांच साल इस्लाम का पालन तभी कर सकेंगे संपत्ति का दान। बोर्ड को संपत्ति दान करने वाला इस्लाम धर्म का अनुयायी होना चाहिए। वह कम से कम पांच साल से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो।
महिलाओं को भी संपत्ति का अधिकार: परिवार वक्फ जिसे वक्फ-अलल-औलाद कहा जाता है, उसमें अब मुस्लिम महिलाओं को भी संपत्ति का अधिकार मिलेगा। महिलाओं को भी अपनी पैतृक व ससुराल की संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार मिलेगा। विधवा, तलाकशुदा और अनाथ महिलाओं को अपनी पारिवारिक संपत्ति में हक मिलेगा।
मुस्लिम ट्रस्ट नहीं होंगे वक्फ की संपत्ति: जिन वक्फ संस्थाओं की आमदनी एक लाख रुपये सालाना से ज्यादा है, उनको अपना वार्षिक ऑडिट करवाना होगा। मुतवल्लियों को 6 महीने में केंद्रीय वक्फ पोर्टल पर अपनी संपत्ति का विवरण देना होगा। मुसलमानों ने जो भी ट्रस्ट बनाए हैं, देश के किसी भी कानून के तहत वक्फ की संपत्ति नहीं माने जाएंगे।
जानिए देश के किस राज्य में वक्फ की कितनी हैं जमीनें :


बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 4 याचिकाएं दाखिल
वक्फ संशोधन बिल कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कई याचिकाएं दाखिल की जा चुकी है। संसद से पास होने के बाद वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ सबसे पहली याचिका कांग्रेस के सांसद ने लगाई थी। फिर असदुद्दीन ओवैसी ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दाखिल की है।
वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चौथी याचिका एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन इन द मैटर्स ऑफ सिविल राइट्स ने दाखिल की है
विपक्षी दलों का दावा है कि वक्फ संपत्तियों को नियंत्रित करने वाले 1995 के कानून में संशोधन करने वाला प्रस्तावित विधेयक भेदभावपूर्ण है और मुसलमानों को टारगेट करने के लिए लाया गया है। हालांकि सरकार का कहना है कि यह कानून मुस्लिम महिलाओं को लाभ पहुंचाएगा और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा