रायपुर। क्रेंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीआइसी) द्वारा टैक्स चोरों पर सख्ती बरतने के लिए नियमों को और कड़ा किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि तय राशि से ज्यादा का इनपुट क्रेडिट लेने पर संबंधित व्यावसायी को विभाग द्वारा नोटिस दिया जाएगा।यह नोटिस आनलाइन जारी होगी और इसका जवाब सात दिन में देना होगा। इस प्रकार वस्तु एवं सेवा कर यानि जीएसटी के नियम में सख्ती का दौर जारी है। हालांकि नए नियम को लेकर व्यापारिक संघों द्वारा विरोध भी किया जा रहा है। व्यापारिक संघों ने इसे अव्यावहारिक बताया है। व्यापारिक संघों का कहना है कि इस नियम में बदलाव जरूरी है।
यह है नियम
कर विशेषज्ञ देवेंद्र अग्रवाल ने बताया कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीआइसी) ने चार अगस्त को नई अधिसूचना जारी की है। इसके तहत किसी व्यावसायी ने अधिक टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) क्लेम कर ली है तो उसका रिटर्न फार्म भी ब्लाक किया जा सकता है।
जारी अधिसूचना क्रमांक 38 के जरिए नया नियम 88 डी भी शामिल किया गया है। इसमें प्रावधान है कि किसी व्यावसायी ने अपने जीएसटीआर 3बी को भरते समय क्रेडिट क्लेम किया है व जीएसटीआर 2बी दिख रही क्रेडिट से ज्यादा है,तो विभाग द्वारा तय राशि से ज्यादा क्रेडिट लेने पर संबंधित व्यावसायी को नोटिस जारी किया जाएगा।
ब्याज समेत क्रेडिट वापस करें या जवाब दें
बतायाजा रहा है कि नोटिस सिर्फ आनलाइन जारी होगा। इसमें या तो व्यावसायी ब्याज समेत क्रेडिट वापस करें या सात दिन में ही व्यावसायी को नोटिस का जवाब देना होगा। विभाग अगर संतुष्ट नहीं हुआ और सात दिन में ब्याज समेत क्रेडिट जमा नहीं करते है तो विभाग व्यावसायी का अगले महीने का रिटर्न फार्म जीएसटीआर-वन ब्लाक कर देगा। यानि वह रिटर्न जमा नहीं कर सकेगा। साथ ही इसके बाद उस पर क्लेम की गई राशि की वसूली के नोटिस अलग अलग धाराओं में जारी होंगे।
फर्जीवाड़े पर लगेगा लगाम
विशेषज्ञों का कहना है कि देश में बहुत से लोग ऐसे है जो फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट से शासन के राजस्व की हानि कर रहे है। इसे देखते हुए विभाग नियमों को सख्त करता जा रहा है। यह नया नियम काफी सख्त है और किसी व्यावसायी का जीएसटीआर वन रिटर्न ब्लाक कर दिया गया तो उस व्यापारी से जितने भी व्यावसायियों ने माल क्रय किया होगा या सेवा प्राप्त की होगी, उन्हें भी कोई टैक्स क्रेडिट प्राप्त नहीं होगा।
इन कारणों से भी हो सकता है अंतर
जानकारों का कहना है कि वास्तविक इनपुट टैक्स क्रेडिट में बहुत से कारणों से अंतर हो सकता है। जैसे किसी व्यापारी ने बीते माह के अंत में माल क्रय किया था, डिलीवरी अलगे माह मिली हो तो वह अगले माह के रिटर्न में क्रेडिट क्लेम करता है। पिछली कोई क्रेडिट भूलवश रहने से भी वह नहीं दिखती।