नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा के राज्यसभा से निलंबन के खिलाफ दायर उनकी याचिका पर विचार करने के लिए सहमति जताई है। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने उच्च सदन सचिवालय को नोटिस जारी कर 30 अक्टूबर तक जवाब मांगा है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।
इसमें शामिल कानूनी मुद्दों के महत्व को देखते हुए, पीठ ने मामले में अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी की सहायता भी मांगी। सुनवाई के दौरान, चड्ढा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि इस मामले में “राष्ट्रीय महत्व” का मुद्दा शामिल है और राज्यसभा के सभापति जांच लंबित रहने तक सदन के किसी सदस्य को निलंबित करने का आदेश नहीं दे सकते, खासकर तब, जब विशेषाधिकार समिति पहले से ही जाचं कर रही हो।
उन्होंने कहा कि अतीत में प्रस्तावित सेलेक्ट कमेटी की सूची में जो सदस्य हस्ताक्षरकर्ता नहीं थे उनके नाम सूची से हटा भर दिए गए थे। चयन समिति में अपना नाम शामिल करने से पहले पांच राज्यसभा सांसदों की सहमति नहीं लेने के आरोप में अगस्त में निलंबित किए जाने के बाद चड्ढा ने पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
प्रस्ताव में सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप
आप नेता पर दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव में पांच सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया गया है। चड्ढा को तब तक के लिए निलंबित कर दिया गया है जब तक उनके खिलाफ मामले की जांच कर रही विशेषाधिकार समिति अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देती। निलंबन का प्रस्ताव सदन के नेता पीयूष गोयल ने पेश किया, जिन्होंने चड्ढा की कार्रवाई को “अनैतिक” बताया।