- अपने को दिवालिया घोषित कर टैक्स चोरी कर रहे थे कारोबारी l
- सभी ठिकानों पर जांच जारी, दो-तीन दिनों में पूरी होने की उम्मीदl
रायपुर। छत्तीसगढ़ सहित तीन राज्यों की आयकर टीम द्वारा संयुक्त रूप से कोल्ड स्टोरेज, अनाज कारोबारी और ब्रोकर के ठिकानों पर की जा रही जांच में दूसरे दिन पांच करोड़ रुपये जब्त किए गए हैं। बताया जा रहा है कि इन कारोबारी समूहों के पास 12 लाकर भी मिले हैं। आयकर अफसरों द्वारा इस संबंध में पूछताछ की जा रही है।
दूसरे दिन भी सभी 50 ठिकानों पर आयकर की कार्रवाई जारी रही। गुरुवार दोपहर से यह कार्रवाई चल रही है। इन कारोबारियों द्वारा कम से कम रिटर्न जमा कर टैक्स चोरी की जा रही थी और काफी समय से आयकर की नजर इन कारोबारी समूहों पर थी। आयकर की इस कार्रवाई में करीब 350 आयकर अफसर और 200 सीआरपीएफ जवान शामिल हैं।
इन ठिकानों पर चल रही कार्रवाई
आयकर सूत्रों के अनुसार राजेश्वरी के अलावा बालाजी, मां शारदा, मानवी कोल्ड स्टोरेज में छापे की कार्रवाई की जा रही है। इसके साथ ही बालकिशन माहावार ब्रोकर, सूरज पल्सेस भनपुरी के ठिकानों पर भी कार्रवाई जारी है। छापे की इस कार्रवाई में रायपुर की टीम के अलावा इंदौर, जबलपुर और भोपाल के अफसर भी शामिल हैं।
पैमाने में हो रहा था कच्चे में काम
इन कारोबारियों द्वारा बड़े पैमाने में कच्चे में लेन-देन हो रहा था। इसकी जांच की जा रही है। इसके साथ ही कारोबारियों के लैपटाप, कंप्यूटर तथा आय-व्यय का लेखा जोखा अपने कब्जे में लेकर कारोबारियों द्वारा पिछले तीन साल की लेनदेन की डिटेल भी जांची जा रही है।
11 वर्ष पहले भी हुई थी कार्रवाई
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बेरला के सुराना परिवार का गुड़ का भंडारण का स्टोरेज है। साथ ही राधा मोहन कांप्लेक्स, लालगंगा मिडोस में सूरज पल्सेस वालों के आफिस और सिलतरा में कोल्ड स्टोरेज है। आयकर सूत्रों के अनुसार वर्ष 2011-12 में भी इनके यहां सर्वे हुआ था और करोड़ों की अघोषित नकदी संपत्ति, जेवरा जब्त किए गए।
भंडारण कर दोगुने-तीगुने दाम पर बेचते थे
आयकर सूत्रों के अनुसार सुराना परिवार के साथ ही गोयल पल्सेस भी कार्रवाई की जा रही है। समता आर्किड चौबे कालोनी में आफिस घर और गोंदवारा में फैक्ट्री है।आयकर अफसरों को कारोबारी समूहों के ठिकानों से नकदी भी मिली है। बताया जा रहा है कि कारोबारियों द्वारा डिफाल्टर बनकर कारोबार किया जाता था। ये लोग सीजन में 90 फीसद तक दाल का भंडारण करने के बाद बारिश के दिनों में दोगुने-तीगुने दामों में बेचते थे।