नई दिल्ली : New Parliament Building: नए संसद भवन के उद्घाटन के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका को खारिज कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने पीआईएल दाखिल करने वाले वकील से कहा कि हम जानते हैं ये याचिका क्यों दाखिल हुई है. ऐसी याचिकाओं को देखना सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हम इस मामले में दखल नहीं देना चाहते हैं. आप चाहते हैं तो हाईकोर्ट जा सकते हैं. हालांकि, याचिकाकर्ता वकील ने हाईकोर्ट जाने की जगह अपनी अपील वापस लेने का फैसला किया. आइए जानते हैं कि पीआईएल में दिए गए किन तर्कों को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर सुनवाई से इनकार कर दिया.
आर्टिकल 32 का हवाल
याचिकाकर्ता वकील सीआर जया सुकिन से सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेके महेश्वरी और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने पूछा कि इसमें आपकी क्या भूमिका है? जिस पर वकील ने कहा कि राष्ट्रपति सभी सांसदों के मुखिया हैं. वो मेरे भी राष्ट्रपति हैं.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जानते हैं कि आप ऐसी याचिकाएं क्यों दाखिल करते हैं. हम इस याचिका पर आर्टिकल 32 के तहत सुनवाई करने के इच्छुक नहीं हैं.
क्या होता है आर्टिकल 32?
आर्टिकल 32 (Article 32) के तहत भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान से मिले मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिये सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का अधिकार मिलता है.
आर्टिकल 79 की बात
इसके बाद याचिकाकर्ता वकील ने संविधान के आर्टिकल 79 का हवाला दिया. आर्टिकल 79 कहता है कि संघ के लिए एक संसद होगी, जो राष्ट्रपति और दो सदनों से मिलकर बनेगी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आर्टिकल 79 कैसे उद्घाटन से जुड़ा है?
इस सवाल के जवाब में वकील ने कहा कि राष्ट्रपति संसद का मुखिया होता है, उन्हें ही नए संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए.
आर्टिकल 85 और 87 का दिया हवाला
साथ ही सीआर जया सुकिन ने आर्टिकल 85 और आर्टिकल 87 का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रपति को संसद का सत्र बुलाने का विधायी अधिकार है. इसके साथ ही उनका संसद में अभिभाषण होता है. वकील के इन तर्कों से सुप्रीम कोर्ट सहमत नहीं हुई और याचिका को खारिज कर दिया गया.