रायपुर: छत्तीसगढ़ में विधानसभा संपन्न हो गए हैं। कल यानि रविवार को 90 विधानसभा में हुए मतदान को लेकर मतगणना होना है। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव रद्द करने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इतना ही नहीं चुनाव आयुक्त पर केस दर्ज करने की भी मांग की है।
प्रत्याशी ने याचिका में कहा है कि आचार संहिता के बाद मतदाताओं को लुभाने के लिए की गई घोषणाएं नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है।रायगढ़ के निर्दलीय प्रत्याशी राधेश्याम शर्मा ने दायर याचिका में बताया कि चुनाव आयोग ने जिस दिन विधानसभा चुनाव 2023 की अधिसूचना जारी की, उसी दिन से आदर्श आचार संहिता लागू है।
इसके बाद कांग्रेस- भाजपा दोनों प्रमुख दलों ने किसानों को कर्ज माफी, बेरोजगारों को रोजगार देने, महिलाओं को नगद राशि और मुफ्त गैस सिलेंडर देने की घोषणा कर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया है। यह चुनाव आयोग के निदेर्शों का उल्लंघन है।
मालुम हो कि आचार संहिता लागू होने के बाद मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए इस तरह की घोषणाएं नहीं की जा सकती।
याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय और राज्य चुनाव आयोग के संरक्षण में मतदाताओं को प्रलोभन देने का खुला खेल चला है, इसके लिए चुनाव आयुक्त को पद से हटाकर उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किये जाने की मांग की है, उन्होंने कहा है कि कांग्रेस और भाजपा की राजनीतिक दल की मान्यता रद्द की जाए। याचिका पर सुनवाई के संबंध में अभी कोई निर्णय कोर्ट ने नहीं लिया है।
कांग्रेस-बीजेपी ने किया उल्लंघन
छत्तीसगढ़ में औद्योगिकीकरण सहित जनहित के मामलों को लेकर आंदोलन करते रहे सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम शर्मा ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की है.
इसमें उन्होंने बताया कि वे रायगढ़ से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी विधानसभा चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें बेबी वॉकर चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया था. उन्होंने याचिका में बताया है कि विधानसभा चुनाव 2023 के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग ने जिस दिन अधिसूचना जारी की, उसी दिन से राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई.
इसके बाद भी कांग्रेस और भाजपा जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों ने आचार संहिता लागू होने के बाद मतदाताओं को लुभाने के लिए कर्जमाफी, बेरोजगारों को रोजगार देने, महिला स्वसहायता समूह की कर्ज माफी, महिलाओं को मुफ्त में गैस सिलेंडर, आर्थिक प्रलोभन जैसे कई घोषणाएं की है, जो चुनाव आयोग के दिशा-निदेर्शों का उल्लंघन है।
राधेश्याम शर्मा ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में चुनाव आयोग के दिशानिदेर्शों का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्रीय और राज्य चुनाव आयोग के संरक्षण में दोनों राजनीतिक दलों ने लोक लुभावन घोषणा पत्र जारी किया है. इससे स्वस्थ्य लोकतंत्र की स्थापना संभव नहीं है. आचार संहिता के बीच राजनीतिक दलों ने जिस तरह से मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए प्रलोभन देकर घोषणाएं की है और आर्थिक लाभ देने का झांसा दिया है. इससे आचार संहिता पूरी तरह दूषित हो गई है।