‘ऊर्जा गंगा’ पाइपलाइन परियोजना से अछूते क्षेत्रों के लोगों को मिल रहा है सस्ती सीएनजी, पीएनजी का लाभ


ऊर्जा गंगा’ पाइपलाइन परियोजना से देश के आंतरिक या भीतरी इलाकों तक सस्ती प्राकृतिक गैस की कीमतों का लाभ पहुंचाने में मदद मिली है. इससे देश में स्वच्छ ईंधन की स्वीकार्यता भी बढ़ी है. आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. परंपरागत रूप से प्राकृतिक गैस  इस्तेमाल( use) बिजली और उर्वरक उत्पादन में किया जाता है।


2016 में उत्तर प्रदेश के जगदीशपुर से पश्चिम बंगाल के हल्दिया, झारखंड के बोकारो और ओडिशा के धामरा तक 2,655 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू हुआ था. बाद में इस लाइन को बिहार में बरौनी से असम में गुवाहाटी तक बढ़ाया गया था. यह लंबाई करीब 726 किलोमीटर है. इसका मकसद पूर्व के अछूते राज्यों तक गैस पहुंचाना था।

गेल (इंडिया) लिमिटेड को जेएचबीडीपीएल बिछाने के लिए अधिकृत किया गय

भारत के पूर्वी राज्यों में गैस परिवहन के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की गेल (इंडिया) लिमिटेड को जेएचबीडीपीएल बिछाने के लिए अधिकृत किया गया था. सरकार ने जेएचबीडीपीएल के क्रियान्वयन के लिए 40 प्रतिशत का व्यवहार्यता अंतर कोष (वीजीएफ) प्रदान किया है. यह राशि 5,176 करोड़ रुपये बैठती है. जेएचबीडीपीएल के तहत गेल बरौनी-गुवाहाटी पाइपलाइन भी बिछा रही है जो पूर्वोत्तर गैस ग्रिड पाइपलाइन के लिए स्रोत का काम करेगी.


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