शराब घोटाला : पूर्व आबकारी मंत्री कवासी के करीबियों के 13 ठिकानों से 19 लाख रूपए सहित कई सबूत जब्त


रायपुर। ACB और EOW की टीम ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा के करीबी कारोबारियों के यहां सुबह दबिश दी। कवासी लखमा के मामले में संलिप्तता के संबंध में जांच पर पाया गया है कि उनके द्वारा सिंडीकेट मेम्बर का सहयोग करते हुए, सिंडीकेट एवं खुद को अवैध लाभ पहुंचाया गया। इन सभी के व्यक्तिगत कारोबार के साथ सरकारी सप्लाई का भी काम है। 2161 करोड़ के शराब घोटाले में आरोपी कवासी लखमा इस समय ईडी और ईओडब्लू की गिरफ्त में 21 जनवरी से जेल में है।













टीम ने सुबह राजधानी समेत 5 जिलों में रहने वाले करीबियों के 13 ठिकानों में दबिश दी। इनमें सर्वाधिक 5 ठिकाने सुकमा में है। जहां के कवासी मूल निवासी हैं। इनके अलावा 2 के रायपुर, 1 अंबिकापुर, 2 जगदलपुर, 5 सुकमा और 1 दंतेवाड़ा में हैं। दिन भर की जांच में भूखंड निवेश के कागजी दस्तावेज, मोबाइल टेबलेट पेन ड्राइव, बैंक एकाउंट और 19 लाख रूपए जब्त किए गए।

मिली जानकारी के अनुसार इनमें लखमा के ड्राइवर बशीर, दंतेवाड़ा में राजकुमार तामो के घर पर भी पड़ताल चल रही है। सूत्रों के अनुसार, दंतेवाड़ा में कांग्रेस नेता राजकुमार तांबों के निवास और कार्यालय पर छापेमारी सबसे संवेदनशील मानी जा रही है। तांबों पूर्व मंत्री कवासी लखमा के अत्यंत करीबी माने जाते हैं और उन्हें गरीबों का नेता भी कहा जाता है। जांच टीम ने उनके परिसरों से आय से अधिक संपत्ति और शराब घोटाले से जुड़े दस्तावेजों की गहन छानबीन की।

टीम ने सुकमा के कोतवाली थाना क्षेत्र की बसंतलाल गली में स्थित एक हार्डवेयर व्यापारी को भी घेरा। व्यापारी पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का संदेह है, जिसे लेकर टीम ने संपत्ति के कागजात, बैंक लेन-देन और हिसाब-किताब की जांच‌ की।

जगदलपुर में भी उनके करीबी हार्डवेयर कारोबारी और पेट्रोल पंप संचालक प्रेम मिगलानी के यहां दबिश दी गई है। वे धरमपुरा हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहते हैं। रायपुर के संतोषी नगर निवासी कारोबारी कमलेश नाहटा और देवेंद्र नगर निवासी जी नागेश्वर राव के भी घर हैं। इसके पिता नामचीन व्यक्ति हैं।

अंबिकापुर में नामी व्यवसायी अशोक अग्रवाल के ब्रह्मपुर निवास पर भी कार्रवाई की गई। अग्रवाल ‘ध्वजाराम रामकुमार’ नामक कपड़ों के प्रतिष्ठान का संचालक हैं, जो विभिन्न शासकीय विभागों को सामग्री की आपूर्ति करता है। उसका नाम पूर्व में खनिज न्यास (डीएमएफ) घोटाले में भी जुड़ चुका है, जिससे उनकी संलिप्तता अब दोहरी जांच के घेरे में आ गई है।

एजेंसी ने प्रेस नोट में बताया कि अपराध 04/2024, धारा 7, 12, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (संशोधित अधिनियम 2018) एवं धारा 420, 467, 468, 471, 120बी. भादवि0 के प्रकरण में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा के मामले में संलिप्तता के संबंध में जांच में पाया कि उनके द्वारा सिंडीकेट मेम्बर का सहयोग करते हुए, सिंडीकेट एवं खुद को अवैध लाभ पहुंचाया गया।


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