सेंट थॉमस कॉलेज, भिलाई में पर्ण बुनाई प्रतियोगिता का आयोजन


किसान दिवस पर सेंट थॉमस महाविद्यालय, भिलाई के वाणिज्य के स्नातकोत्तर विभाग ने भिलाई महिला महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में पर्ण बुनाई प्रतियोगिता का आयोजन किया। यह प्रतियोगिता किसानों द्वारा हरित विपणन के विषय पर केंद्रित थी। प्रतियोगिता में छात्रों की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जिनकी कलात्मक रचनाओं ने दर्शकों और निर्णायकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।


पुरस्कार वितरण समारोह में प्राचार्य डॉ. एम. जी. रोइमोन, अकादमिक डीन डॉ. देबजानी मुखर्जी, डॉ. चंदा वर्मा और वाणिज्य के स्नातकोत्तर विभाग की अध्यक्ष डॉ. सपना शर्मा उपस्थित थे।

फादर डॉ. पी.एस. वर्गीस ने वाणिज्य के स्नातकोत्तर विभाग के पहल की सराहना की और इस तथ्य पर जोर दिया कि पर्ण बुनाई एक पारंपरिक कला है जिसका इतिहास भारत में सदियों पुराना है। यह भारतीय जनसमुदायों की विदग्धता और युतिसम्पन्नता को दर्शाता है एवं देश की सांस्कृतिक विरासत का एक बहुमूल्य तत्व है। डॉ. एम. जी. रोइमोन के अनुसार पर्ण बुनाई महज शिल्प से कहीं बढ़कर है; यह कई भारतीय समुदायों की जीवनशैली का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह कौशल पीढ़ियों से विरासत में प्राप्त होता है तथा प्रत्येक कारीगर की विशिष्ट प्रतिभा और रचनात्मकता इस शिल्प में समाहित होती है।

डॉ. देबजानी मुखर्जी ने बताया कि पर्यावरण के अनुकूल रचनाएँ किसी भी स्थान को ग्राम्य मोहकता से रंजित करती हैं तथा प्रकृति के साथ संबंधों को सुदृढ़ कर संधारणीय जीवनशैली का संवर्धन करती है। डॉ. सपना शर्मा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रतियोगिता के माध्यम से छात्रों को एक पारंपरिक शिल्प से परिचित होने का अवसर प्राप्त हुआ जो किसानों और कारीगरों की रचनात्मकता का उत्कृष्ट उदाहरण है।

निर्णायकों और अतिथियों ने उभरते कलाकारों के नवोन्मेष की भावना की सराहना की, जिन्होंने पारंपरिक शिल्प को आधुनिक कृतियों में सफलतापूर्वक रूपांतरित कर नई ऊर्जा के साथ पुनर्जीवित किया।


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