अंबेडकर मिशन की पहल से ईशा के जीवन  का अंधेरा हुआ दूर, लौट रही रोशनी


पढ़ाई का भी जिम्मा लिया डॉक्टरों ने, बड़ी
 बहन की भी आंखों का कराएंगे इलाज


भिलाई। राजनांदगांव और भिलाई के नेत्र रोग विशेषज्ञों की टीम की छोटी सी पहल से राजनांदगांव के गांव कोरचाटोला की ईशा की अंधेरी दुनिया में पहली बार रोशनी आई है। डॉक्टर अंबेडकर स्वास्थ्य मिशन से जुड़े डॉक्टरों ने नेत्र विकार से पीड़ित इस बच्ची का परीक्षण बीएसपी के जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र में कराया। यहां पूरी जांच के बाद विशेष प्रकार का चश्मा इस बालिका को पहनाया गया तो पहली बार उसने अपनी सूरत देखी और भावुक हो गई। वहां खड़े डॉक्टरों की भी आंखें खुशी से छलक गईं।
इस संबंध में वरिष्ठ चिकित्सक डा. उदय धाबर्डे ने बताया कि बेहद गरीब श्रमिक परिवार की इस छोटी बच्ची ईशा के नेत्र विकार की जानकारी भंते धम्म तप  को मिली। पिछले सप्ताह 7 मई को कोरचा टोला अंबागढ़ चौकी में बुद्ध जयंती के अवसर पर डॉक्टर अंबेडकर स्वास्थ्य मिशन ने निशुल्क चिकित्सा शिविर लगाया था। जहां जन्म से दृष्टिबाधित 11 साल की ईशा को  बौद्ध धम्मगुरू भंते धम्म तप और नरेंद्र खोबरागड़े  इस  चिकित्सा शिविर में लेकर आए । तब ईशा का प्रारंभिक परीक्षण कर अन्य जांच के लिए राजनांदगांव के डॉक्टर विजय ऊके और भिलाई के नेत्र विशेषज्ञों से परामर्श किया। इसके बाद गुरुवार को भिलाई में ईशा का नेत्र परीक्षण अत्याधुनिक मशीनों से करवाया गया।
डा. उदय ने बताया कि डॉ आंबेडकर  स्वास्थ्य मिशन के प्रयास के चलते 11 वर्षीय ईशा अब कम से कम दो तीन फीट दूरी का देख पा रही है धीरे-धीरे इसकी आंखों की रोशनी और बढ़ेगी। हर महीने चेकअप और दवाइयां लेते रहने पर इसमें काफी हद तक सुधार आएगा । उन्होंने बताया कि आज पूरी जांच के बाद जब विशेष प्रकार का चश्मा इस बच्ची को पहनाया गया तो उसने


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