बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ऐसे कई मंदिर हैं, जिसकी मान्यता काफी खास है। बिलासपुर में भी देवी का एक अनोखा मंदिर है, जहां माता को नारियल, फूल, पूजा सामग्री का चढ़ावा नहीं चढ़ाया जाता, बल्कि यहां प्रसाद के रूप में कंकड़ व पत्थर का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। इस अनोखी परंपरा का पालन सदियों से किया जा रहा है। आईए देखते हैं इस मंदिर की पूरी कहानी
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के खमतराई क्षेत्र में स्थित बगदाई मंदिर, जिसे वनदेवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, एक अनोखी धार्मिक परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भक्तजन देवी मां को प्रसन्न करने के लिए फूल, नारियल, या मिठाई जैसे पारंपरिक चढ़ावे नहीं चढ़ाते, बल्कि पत्थर चढ़ाने की परंपरा निभाई जाती है।
मंदिर में वनदेवी को विशेष प्रकार के पत्थर, जिन्हें चमर गोटा पत्थर कहा जाता है, मां को अर्पित किए जाते हैं। स्थानीय मान्यता के अनुसार, खेतों में पाए जाने वाले इन पत्थरों को देवी मां अत्यंत प्रिय मानती हैं। यहां श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए देवी मां के चरणों में पांच पत्थर चढ़ाते हैं। ऐसा माना जाता है कि वनदेवी इन चढ़ावों से प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं।
सदियों पुरानी इस परंपरा का पालन आज भी पूरे भक्ति भाव से किया जाता है। यह मंदिर न केवल आसपास के क्षेत्रों के लोगों के लिए, बल्कि दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी आस्था का केंद्र है। खमतराई का यह मंदिर देवी मां के प्रति अनूठी भक्ति और विश्वास का प्रतीक है, जहां भक्तजन अपने विश्वास और श्रद्धा के साथ पत्थरों को अर्पित कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।