महादेव के भक्तों के लिए खुशखबरी…आज से आरंभ होगी चार धाम यात्रा, कल खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट


नई दिल्ली: केदारनाथ धाम से जुडी बड़ी खबर समने आई है. पूजा-अनुष्ठान और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कल (10 मई) केदारनाथ धाम के कपाट खुलने जा रहे हैं. श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि कपाट खुलने की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. मंदिर को 40 क्विंटल फूलों से सजाया जा रहा है.


भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली आज सुबह 8.30 बजे अपने तीसरे पड़ाव गौरामाई मंदिर गौरीकुंड से केदारनाथ धाम के लिए रवाना हुई. 6 मई को देवडोली अपने प्रवास के लिए श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंची और 7 मई को अपने दूसरे पड़ाव फाटा पहुंची. 8 मई को देर शाम पंचमुखी डोली गौरमाता मंदिर गौरीकुंड पहुंची. यहां रात्रि विश्राम के बाद 9 मई को केदारनाथ धाम के लिए पंचमुखी डोली रवाना होगी. नौ मई को पंचमुखी डोली केदारनाथ पहुंचेगी जिसके बाद 10 मई को केदारनाथ धाम के कपाट विधि-विधान पूर्वक शुभ मुहुर्त में खोल दिए जाएंगे.

बता दें, भारी बर्फबारी और कठिन रास्तों के चलते साल के 6 महीनों केदारनाथ धाम के कपाट बंद रहते हैं. केदारनाथ धाम के कपाट हर साल भाई दूज के दिन बंद होते हैं और 6 महीने के बाद अक्षय तृतीया के दिन केदारनाथ धाम के कपाट खोलने का परम्परा है.

-केदारनाथ धाम से जुडी मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद पांडवों पर भाईयों की हत्या करने का पाप था. इस पाप से उन्हें केवल महादेव ही मुक्ति दिला सकते थे, लेकिन महादेव पांडवों से नाखुश थे. इसलिए वे उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे. लेकिन पांडवों शंकर जी की तलाश करते हुए केदार खंड पहुंचे. शिव जी ने पांडवों को आता देख खुद का रूप बदल लिया और बैल का रूप धारण कर लिया और वहां मौजूद पशुओं के झुंड में शामिल हो गए.

भीम ने बैल रूपी शिवजी को पकड़ने का प्रयास किया लेकिन बैल भूमि में अदृश्य होने लगा, मान्यता है कि भोलेनाथ बैल का वेश धारण करके जब धरती पर समाने लगे तभी भीम ने उनकी पूंछ पकड़ ली भीम ने अपने बल का पूरा प्रयोग किया और बैल के ऊपरी भाग को पकड़ लिया और उसे जमीन में धंसने नहीं दिया. पांडवों की इस भक्ति को देखकर महादेव बहुत प्रसन्न हो गए और उन्होंने भ्रातृहत्या के पाप से पांडवों को मुक्त कर दिया. ऐसा माना जाता है कि भगवान शंकर के जिस भाग को भीम ने पकड़ा था वही आज केदारनाथ में पिंड रूप में स्थापित है.


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