पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती आज, जानिए गांधी ने क्यों पकड़े थे राजीव गांधी का कान ?


नई दिल्ली। कांग्रेस हर साल पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जन्मदिवस के अवसर पर सद्भावना दिवस मनाती है। उनके बेटे और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने उन्हें अपने तरीके से याद किया। राहुल लद्दाख के पेंगोंग सो झील के किनारे अपने पिता को श्रद्धांजलि दी। 21 सदी के निर्माता कहे जाने वाले राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री रहते भारतीय दूरसंचार नेटवर्क का गठन, वोट देने की सीमा 21 से 18 वर्ष, देश को पहली बार कंप्यूटर लाना, पंचायतीराज व्यवस्था को मजबूत करना आदि उनकी उपलब्धियों में गिने जाते हैं। राजीव गांधी से जुड़े पुराने किस्से भी काफी मशहूर हैं। इनमें से एक किस्सा उनका महात्मा गांधी से मुलाकात का है। तब राजीव महज 4 साल के थे। इस मुलाकात का जिक्र करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि उसके अगले ही दिन नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।


तब महज 4 साल के थे राजीव

यह किस्स्सा है, 29 जनवरी 1948 की। तब राजीव देश-दुनिया की राजनीति और उथल-पुथल से अंजान थे। महज 4 साल के राजीव के वो खेलने-कूदने के दिन थे। मां इंदिरा गांधी उन्हें 29 जनवरी की शाम महात्मा गांधी से मिलाने ले गईं। इंदिरा और राजीव के साथ पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन कृष्णा हठीसिंह, नयनतारा पंडित और पद्मजा नायडू भी थीं। इंदिरा गांधी की जीवनी लिखने वाली कैथरीन फ्रैंक ने बताया कि उस शाम इंदिरा गांधी को घर से निकलने से पहले उनके माली ने चमेली के फूलों का गुच्छा लाकर दिया। इंदिरा गांधी ने सोचा कि चमेली के ये फूल लेकर वह गांधीजी को देंगी। इसके बाद इंदिरा गांधी राजीव, नेहरू की बहन कृष्णा हठीसिंह, नयनतारा पंडित और पद्मजा नायडू के साथ बिरला हाउस के लिए रवाना हो गए।

राजीव गांधी को उस दिन मिली थी बड़ी सीख

रोज की तरह महात्मा गांधी बिरला हाउस के लॉन में धूप सेंक रहे थे। गांधी के पास आकर इंदिरा गांधी, नेहरू की बहन कृष्णा हठीसिंह, नयनतारा पंडित और पद्मजा नायडू आकर बैठ गईं। राजीव पास में ही तितलियों संग खेल रहे थे। थोड़ी देर बाद राजीव महात्मा गांधी के पैरों के पास आकर बैठ गए। राजीव को न जाने क्या सूझा वह गांधी के पैरों के बीच में चमेली के फूल फंसाने लगे। राष्ट्रपिता ने यह देख लिया और राजीव के कान पकड़कर उन्हें उठाया। राजीव को जीवन की सबसे बड़ी सीख देते हुए गांधी ने कहा कि ऐसा मत करो, फूल सिर्फ मरे हुए व्यक्तियों के पैरों में फंसाए जाते हैं।


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