रियायती जमीन मिलने से समाजजनों के विवाह और अन्य आयोजन में होने वाले खर्च में कटौती होगी


-दिल्लीवार कुर्मी क्षत्रिय समाज के भूमिपूजन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए मुख्यमंत्री बघेल
रायपुर। रियायती जमीन मिलने से भवन की लागत घटेगी और तेजी से समाजों के मांगलिक भवन बनेंगे। समाजजनों का काफी खर्च बचेगा। दुर्ग जिले के ग्राम पुलगांव में दिल्लीवार कुर्मी क्षत्रिय समाज के भूमिपूजन समारोह कार्यक्रम में सम्मिलित होने के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने यह बात कही।


मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि कार्यक्रम में आने के बारे में आश्वासन दिया था तो आना ही था इसलिए देर शाम से आया हूँ। समाज के लिए जमीन दर में रियायत की वजह से काफी महंगी जमीन मात्र 20 लाख रुपये में मिली है। यह बहुत अच्छी बात है। इससे सामाजिक कार्य आसानी से होंगे। सभी समाजों को इसका लाभ मिल रहा है। पहले यह प्रक्रिया बहुत जटिल थी। हमारा तानाबाना बहुत मजबूत रहा है। हमारे पुरखों ने ऐसी व्यवस्था बनाई कि पूर्व में भी बिना आधुनिक संचार साधनों के समाजजनों तक दूर दूर तक बात चली जाती थी। ऐसे में हमारा दायित्व है कि इस ढांचे को मजबूत करें और इसके लिए हमने रियायती दर में समाज के लिए जमीन उपलब्ध कराने की नीति बनाई। अब यह हो गया है तो समाजजनों को काफी आसानी होगी। विवाह और अन्य कार्यक्रम में खर्च बचेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भेंट मुलाकात कार्यक्रमों में हमने लगातार समाजजनों की मांग पर जमीन उपलब्ध होने पर भवन के लिए राशि उपलब्ध कराई। सामाजिक उत्थान के साथ ही आर्थिक उत्थान के लिए भी हम कार्य कर रहे हैं। समर्थन मूल्य वाली फसलों का दायरा बढ़ा है। वनोपज का संवर्धन कर रहे हैं। गौठान के माध्यम से स्वसहायता समूह को आगे बढ़ा रहे हैं। डोंगाघाट में हम गोबर से बिजली बना रहे हैं। गोबर पेंट बना रहे हैं। इससे लोगों की आर्थिक आय काफी बढ़ गई है।
जालबन्धा के एमबीए युवक से जुड़ा रोचक संवाद बताया – मुख्यमंत्री ने कहा कि खैरागढ़ से लौटते वक्त जालबन्धा में रुका था। एमबीए पढ़े एक युवक ने सवाल किया कि न्याय योजना का पैसा किश्त में क्यों देते हैं। मैं जवाब देने ही वाला था कि वहीं एक बुजुर्ग महिला ने कहा कि एक बार म मिलय या बार बार मिलत तो हे। मैंने उत्तर दिया कि हम किश्तों में दे रहे हैं। आप एक साथ निकाल लो। फिर औचित्य समझाया कि किस तरह से इसका लाभ किसानों को सही समय पर मिलता है। कार्यक्रम में विधायक श्री अरुण वोरा ने भी अपना संबोधन दिया।


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