श्री शंकराचार्य महाविद्यालय जुनवानी भिलाई में डीएलएड प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष की विद्यार्थियों द्वारा कार्य शिक्षा, कला शिक्षा और योग शिक्षा प्रायोगिक परीक्षा भारतीय ज्ञान प्रणाली विषय पर आयोजित की गई विद्यार्थियों द्वारा निर्मित कलात्मक वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई इस प्रदर्शनी में हस्तकला से संबंधित और बेकार चीजों से उपयोगी चीज बनाकर उसे प्रदर्शित किया गया। इस प्रदर्शनी को लगाने का उद्देश्य भारत की प्राचीन व समृद्धि ज्ञान परंपरा से परिचित कराते हुए भारत से संबंधित विभिन्न विषय दर्शन, विज्ञान, कला, साहित्य और संस्कृति के बारे में तथा लुप्त होती कलाओं की जानकारी व उनके संरक्षण करना क्योंकि पारंपरिक ज्ञान व लोक कला आज भी कई समुदायों के लिए आजीविका का स्रोत है और आज भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर अर्चना झा एकेडमी डीन डॉक्टर जे दुर्गा प्रसाद राव और बाह्य परीक्षक श्रीमती सवप्ना व्यवहारे तथा डीएलएड की विभाग अध्यक्ष डॉक्टर शिल्पा कुलकर्णी द्वारा किया गया। इस प्रदर्शनी में योग के विभिन्न आसनों उसके महत्व और उसके स्वास्थ्य पर होने वाले उत्तम प्रभाव के बारे में फाइल के द्वारा बताया गया। कला शिक्षा प्रायोगिक परीक्षा के अंतर्गत विद्यार्थियों ने प्राचीन वाद्य यंत्रों विभिन्न प्रकार की चित्रकला प्राचीन शास्त्रीय नृत्य विभिन्न गायन शैली की जानकारी दी। कार्य शिक्षा के अंतर्गत बेकार वस्तुओं से उपयोगी वस्तुएं बनाना तथा मधुबनी पेंटिंग डोकरा आर्ट लिप्पन पेंटिंग, नींब पेंटिंग, टेबल क्लॉथ में भी फैब्रिक पेंटिंग रुमाल में कढ़ाई, ग्रीटिंग कार्ड, फोटो फ्रेम और भी बहुत सी कलात्मक वस्तुएं में विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई। महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा विद्यार्थियों की इस कल्पना शीलता और भारतीय कलाओं के प्रति रुझान की सराहना करते हुए उनका भविष्य में भी इस प्रकार के रचनात्मक एवं कल्पना शीलता को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित भी किया गया।








