दुर्ग- श्री सत्ती चौरा मॉ दुर्गा मंदिर, गंजपारा में 23 नवम्बर 2024, शनिवार को श्री काल भैरव बाबा की जयंती मनाई जाएगी। मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित सुनील पाण्डेय ने बताया कि मंगलवार को सुबह 9 बजे कलश व दीप स्थापना, 10 बजे भैरव बाबा जी का महाअभिषेक, हवन, पूर्णाहुति व आरती की जाएगी।
इसी क्रम में शाम को साढ़े सात बजे श्री भैरव बाबा की 101 दीपों एवं पूजा थाल से महाआरती की जाएगी। आरती के बाद प्रसाद वितरण किया जाएगा।
मन्दिर के मुख्य पुजारी पंडित सुनील पांडेय ने बताया कि श्री भैरव बाबा जयंती से आगामी 41 दिन तक श्री भैरव चालीसा का पाठ करने से सारे रोग, दोष दूर होते हैं और सुख शांति की प्राप्ति होती है। काल भैरव का जिक्र पौराणिक ग्रन्थों में मिलता है। शिव पुराण के मुताबिक काल भैरव भगवान शिव का रौद्र रूप है। वामन पुराण का कहना है कि भगवान शिव के रक्त से आठों दिशाओं में अलग-अलग रूप में भैरव प्रकट हुए थे। इन आठ में काल भैरव तीसरे थे। काल भैरव रोग, भय, संकट और दुख के स्वामी माने गए हैं। इनकी पूजा से हर तरह की मानसिक और शारीरिक परेशानियां दूर हो जाती हैं। भैरव जी के आठ नाम है जिसमें विशेष रूप से रुरु भैरव, संहार भैरव, काल भैरव, असित भैरव, क्रोध भैरव, भीषण भैरव, महा भैरव, खटवांग भैरव पंडित सुनिल पांडेय ने बताया कि काल भैरव जी की पूजा से दूर होती हैं बीमारियां, भैरव का अर्थ है भय को हरने वाला या भय को जीतने वाला। इसलिए काल भैरव रूप की पूजा करने से मृत्यु और हर तरह के संकट का डर दूर हो जाता है। नारद पुराण में कहा गया है कि काल भैरव की पूजा करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मनुष्य किसी रोग से लंबे समय से पीड़ित है तो वह बीमारी और अन्य तरह की तकलीफ दूर होती है।
पंडित जी ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भैरव बाबा को चने-चिरौंजी, पेड़े, काली उड़द और उड़द से बने मिष्ठान्न इमरती, दही बड़े, दूध और मेवा पसंद होते हैं। इस प्रकार से आप कालाष्टमी के दिन भैरवनाथ को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
दिनांक 23 नवम्बर को श्री सत्तीचौरा माँ दुर्गा मंदिर में स्थापित मनोकामना सिद्ध श्री काल भैरव जी की पूरे दिन विशेष पूजा अर्चना की जावेगी सँध्या 7 बजे महाआरती के पश्चात सभी उपस्थित धर्मप्रेमियों को भोग प्रसादी का वितरण किया जावेगा, जिसमें कचोरी, मूंग बड़ा, खिचड़ी, मिष्ठान आदि का वितरण होगा।