रायपुर । छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसायटी की ओर से शनिवार को नाटक एक लड़की पांच दीवाने का मंचन जनमंच सड्डू, रायपुर में किया गया। हरिशंकर परसाई की व्यंग्य कथा पर आधारित इस नाटक का नाट्य निर्देशन सुप्रसिद्ध नाट्य निर्देशिका श्रीमती रचना मिश्रा ने किया है।


हरिशंकर परसाई अपने वक्त से बहुत आगे की बात बेहद चुटीले अंदाज में लिखते थे। इस नाटक में एक लड़की है और उसके पांच दीवाने हैं। करीब पांच दशक पहले लिखी इस कथा की नायिका अपने सभी दीवानों के मन में प्यार का भ्रम पैदा करती है, लेकिन जब जीवन साथी चुनने की बारी आती है तो आज की आधुनिक युवती की तरह ही उस शख्स का चुनाव करती है जो जिंदगी में सैटल है। परसाई की इस कहानी को रचना मिश्रा के निर्देशन में उनके सहयोगियों ने बेहद ही शानदार ढंग से प्रस्तुत किया।

💢Explore Excellence in Education with St. Thomas Mission, Bhilai
🔷⭕Under the patronage of St. Thomas Mission, Bhilai and the Diocese of Calcutta, we proudly present *two distinguished NAAC 'A' grade accredited institutions:
🔷⭕Christian College of Engineering & Technology (CCET), Bhilai
🔷⭕Established in 1998, CCET is dedicated to nurturing future-ready engineers and technologists. With state-of-the-art infrastructure, industry-aligned programs, and experienced faculty, we provide a dynamic and supportive learning environment.
🔷⭕Programs Offered: Diploma | B.Tech | M.Tech | MCA | Ph.D.
🔷⭕Website: ccetbhilai.ac.in Admissions ഹെൽപ്ലൈൻ
📞🪀: +91 788 228 6662, 99819 91429, 98261 41686
Apply Now: https://forms.gle/rC4sWWXuBRXywJaAA
St. Thomas College, Raubandha, Bhilai
🔷⭕Established in 1984, St. Thomas College offers a wide range of undergraduate, postgraduate, and doctoral programs across various disciplines. Our holistic academic approach is designed to foster intellectual growth, leadership, and ethical values.
Courses Offered:
💢BA | B.Sc | B.Com | BCA | BBA | BJMC | B.Ed MA | M.Sc | M.Com | PGDCA | PGDJ | PGC | Ph.D.
Website: stthomascollegebhilai.in
Admission Helpdesk
📞🪀: +91 788 227 5970, +91 788 296 1770
💢Online admission form: https://stthomascollegebhilai.netcampus.in/enquiry/admission
🔷⭕For Guidance and Support:
🔷⭕Fr. Dr. P.S. Varghese Executive Vice Chairman +91 70050 24458 | +91 98261 41686









पांच लड़की एक दीवाने यह नाटक वर्तमान समय के प्रेम की दास्तां को दर्शाता है। नाटक एक ओर दर्शकों को गुदगुदाता है, साथ ही यह संदेश देता है कि लड़कियां लड़कों की चापलूसी से नहीं उनकी काबिलियत से प्रभावित होती हैं। जिस प्रकार वर्तमान में लड़कियों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए आजकल लड़के अजीबोगरीब हरकतें करते हैं। हाल यह होता है कि एक लड़की के कई दीवाने होते हैं और ये दीवाने अपने मन में प्रेमिका मान बैठे लड़की को इंप्रेस करने के लिए हर मुमकिन प्रयास करते हैं। यही दिखाया गया नाटक ‘एक लड़की पांच दीवाने में।
नाटक निम्न मध्यवर्गीय परिवार की एक ऐसी लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है जिसकी खूबसूरती का पूरा मोहल्ला दीवाना है। मोहल्ले के 20 से लेकर 50 साल के पुरूष उसे अपनी प्रेमिका की नजर से देखते हैं। मोहल्ला ऐसा है कि जहां के लोग 12-13 साल की बच्ची को भी घूर-घूरकर जवान बना देते हैं। इस पर रहीम का एक दोहा है-
रहिमन मन महाराज के, दृग सों नहीं दिवान।
जाहि देख रीझे नयन, मन तेहि हाथ बिकान।।
मन के दीवानजी होते हैं नयन। नयनों के उपयोग का ज्ञानी उनका असर जानते हैं।
लड़की को देखकर दीवानों के रेगिस्तान जीवन में थोड़ी सी हरियाली आ जाती है और वे उसे देवी जैसे पूजने लगते हैं। यह दीवानें उसे प्रभावित करने के लिए कुछ भी करने को हर पल तैयार रहते हैं। जिसके लिए पांच दीवाने उस लड़की की छोटी बहन की मदद करने में एक-दूसरे से होड़ लेते हैं। नाटक में एक किताब वाला है। जिसकी दुकान पर बैठकर दीवाने लड़की को ताकते रहते हैं। इस दौरान एक दीवाना उस किताब वाले से कहता है लड़की तुमको भी चोरी छिपे देखती है। जिस पर वह नैतिकता, सदाचार और पत्नीव्रता होने की दुहाई देता है और तुलसीदास का दोहा कहता है-
उत्तम कर अस बस मन माहीं,
सपनेहु आन पुरुष जग नाहीं।
नाटक में बताने की कोशिश की गई है कि निम्न मध्यमवर्गीय की लड़की कथित प्रेम और आकर्षण से उपर उठकर एक नौकरी पेशा व्यक्ति के साथ जीवन संगनी बनने को प्राथमिकता देती है। सभी दीवाने मिलकर उस सीधी साधी लड़की को चतुर बना देते हैं। जिसके चलते नाटक के अंत में लड़की इन सब दीवानों को नकारकर किसी और से शादी कर लेती है। उसकी शादी के बाद पांचों दीवानों को जैसे सांप सूंघ जाता है। लड़की की शादी होते ही घर के सामने दीवानों की भीड़ सी लग जाती है। तभी वहां से पहुंचता हुआ राहगीर दूसरे से पूछता है कि क्या कोई मौत हो गई है? इसी बीच मोहल्ले का एक मसखरा कहता है एक नहीं चार-पांच मौतें हो गई हैं। आखिर में पांचों दीवानें कहते हैं दिल के टुकड़े-टुकड़े करके कहां चल दिए।
नाटक के कुछ प्रमुख संवाद-
नाटक में लड़की की मौसी कहती है : दरअसल हमारे देश में अभी भी लड़के शादी के बाजार में मवेशी की तरह बिकते हैं।
प्रेमी को यह विश्वास है कि दाढ़ी बढ़ाकर आंखों में भिखारीपन लेकर औरत का सामना करों तो वह आकर्षित हो जाती है।
महीने में एकाध लड़की भगाई न जाए या कोई बलात्कार न हो तो मोहल्ले के निवासी बहुत बोर होते हैं।
दीवानों ने खुद एक सीधी लड़की को सहज ही फंसती, काइयां बना दिया और अपना नुकसान कर लिया।
जो होने वाले ससुर को पहले से ही दारू पिलाए वह आदर्श प्रेमी होता है।
मुझे ऐसे आदर्श प्रेमी बड़े अच्छे लगते हैं जो प्राण देने को तैयार हैं मगर भूखी प्रेमिका को जो आटा देते हैं उसकी कीमत उसके खाते में लिख लेते हैं।
लड़की को दीवानों ने अपनी हरकतों से यह भान करा दिया कि उसके पास रोटी बनाने, कपड़े धोने और घर साफ करने के सिवाए कुछ और भी है जो घर के नहीं बाहर वालों के काम का है।
नाटक के सूत्रधार कहते हैं कि इस कौम की आधी ताकत लड़कियों की शादी करने में जा रही है। पाव ताकत छिपाने में जा रही है-शराब पीकर छिपाने में, प्रेम करके छिपानेे में, घूस लेकर छिपाने में बची हुई पाव ताकत से देश का निर्माण हो रहा है, बहुत हो रहा है। आखिर एक चौथाई ताकत से कितना होगा।
मंच पर :-
समीर शर्मा – सूत्रधार हरिशंकर परसाई, पल्लवी चंद – लड़की, उमेश उपाध्याय – दुकानदार और कथावाचक में सहयोग, पीकू वर्मा – दीवाना एक, सूर्या तिवारी – दीवाना दो, गौरव साहू – दीवाना तीसरा, तरूण देवांगन – दीवाना चार, मंगेश कुमार – दीवाना पांच, सृष्टि रानी – छोटी बहन, मयंक साहू – चायवाला, लोकेश यादव – पुस्तकवाला, अभिषेक उपाध्याय, आदित्य देवांगन – पिता, संजना माखानी – मांं, धर्मराज बाग – लाईट पर।