कोरबा। जिले को मेडिकल काॅलेज की सौगात तो मिल गई है, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल अब भी बेहाल है। हालात कितने गंभीर है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि ओपीडी बंद होने का हवाला देकर सामान्य बीमारी से पीड़ित युवक को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया, फिर क्या था समय पर उपचार नहीं मिलने से युवक ने दम तोड़ दिया। युवक की मौत के बाद पिता पूरी तरह से टूट गया है और प्रबंधन को जमकर कोस रहा है
कोरबा में मेडिकल कॉलेज के स्वास्थकर्मियो की लापरवाही के कारण एक बार एक घर का चिराग बुझ गया। इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे मरीज को मेडिकल स्टाफ ने भर्ती करने से इंकार कर दिया। विश्वकर्मा पूजा के मौके पर डॉक्टरों की छुट्टी होने की दलील देते हुए मरीज को चलता कर दिया। सही समय परं इलाज नहीं मिलने से एक दिन बाद युवक की मौत हो गई। लाचार पिता ने अस्पताल के कर्मचारियों पर लापरवाही करने का आरोप लगाया है।गोढ़ी गांव में रहने वाले सिरतुराम सारथी के 20 वर्षीय पुत्र विश्वनाथ की तबियत अचानक बिगड़ गई। उसके हाथ पैर में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। रविवार की शाम के वक्त सिरतु राम ने अपने बेटे की इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज पहुंचा। आरोप है कि उसका इलाज करने के बजाए हॉस्पिटल स्टॉफ ने ये कहकर उन्हें चलता कर दिया कि अस्पताल में कोई डॉक्टर नही है। आरोप है कि अस्पताल में मौजूद नर्सों ने भर्ती करने साफ इंकार कर दिया। हॉस्पिटल स्टॉफ द्वारा दुव्र्यवहार करने से आहत पिता अपने पुत्र को लेकर घर लौट गया। इलाज नहीं मिलने पर विश्वनाथ की हालत और बिगड़ गई। दूसरे दिन अस्पताल लेकर पहुंचा जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पिता का कहना है कि एक दिन पूर्व अगर उसे इलाज मिला होता तो शायद आज वह जिंदा होता।यह पहली बार नहीं है जब स्वस्थ्य कर्मियों की लापरवाही से किसी की जान गई हो। इससे पहले भी कई बार विभागीय कर्मियों की लापरवाही कई लोगों की जान जाने का कारण बन चुका है। बावजूद इसके व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही। इस तरह के मामलों में अस्पताल प्रबंधन को गंभीरता दिखाने की जरुरत है ताकी बेवजह किसी की जान न जाए।