इनकम टैक्स रिफंड पाने के लिए करे यह काम वरना नहीं मिलेगा रिफंड..


दिल्ली :- आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तिथि खत्म होते ही अब रिफंड जारी होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अपनी देनदारी से अधिक टैक्स चुकाने वाले टैक्सपेयर ही ‘आयकर रिफंड’ प्राप्त करने के हकदार होते हैं


लेकिन इसके जरिए जरूरी है कि वे रिटर्न दाखिल करने के 30 दिन के भीतर उसे ई-वेरीफाई करें। इसके बाद ही विभाग रिफंड जारी करने की प्रक्रिया शुरू करेगा। अगर टैक्सपेयर ई-वेरीफिकेशन से चूक जाते हैं तो रिफंड का पैसा नहीं मिलेगा।

टैक्सपेयर जिस तारीख को अपने आईटीआर को ई-वेरीफाई करता है, उसी तारीख से रिफंड की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। आमतौर पर सत्यापन की तारीख से आईटीआर की प्रकृति के अनुसार पैसा आने में 15 दिन से लेकर 2 महीने तक का समय लग सकता है।

हालांकि, कई मामलों में यह इससे पहले भी आ सकता है, लेकिन रिटर्न में किसी तरह की अनियमितता है तो फिर रिफंड प्रक्रिया में देरी हो सकती हैं।

ऐसे मामलों में आयकर विभाग संशोधित रिटर्न दाखिल करने के लिए कह सकता है। उसकी फिर से जांच होगी और उसे सही पाए जाने पर ही रिफंड का पैसा जारी किया जाएगा। टैक्सपेयर आयकर विभाग के पोर्टल पर भी रिफंड का स्थिति जांच सकते हैं।

आयकर नियमों के अनुसार, आईटीआर दाखिल करने के बाद 30 दिनों के अंदर उसे ई-वेरीफाई करना अनिवार्य होता है। इसे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीकों से वेरीफाई किया जा सकता है।

ऑफलाइन तरीके में आईटीआर की की प्रति पर हस्ताक्षर करके उसे आयकर विभाग के बेंगलुरु स्थित कार्यालय में डाक के जरिए भेजना होता है। यदि किसी टैक्सपेयर ने आईटीआर को वेरीफाई नहीं किया है तो उसे रिफंड का पैसा नहीं मिलेगा। यही नहीं उसे विलंबित आईटीआर दाखिल करनी पड़ेगी और इसके लिए उसे जुर्माना भी चुकाना पड़ेगा

आईटीआर-1: 10 से 15 के भीतर रिफंड मिल जाता है। यह समयसीमा उनके लिए है, जिन्होंने फॉर्म 16 के आधार पर रिटर्न जमा किया है।

आईटीआर-2: रिफंड आने में करीब 20 से 45 दिन का समय लग जाता है। हालांकि, कई बार इसमें विभिन्न कारणों से देरी भी होती है।

आईटीआर-3: लगभग दो महीने का समय लगता है। चूंकि इस रिटर्न फॉर्म में व्यापार आय सहित कई प्रकार की जानकारियां शामिल होती हैं, जिनकी बारीकी से जांच की जाती है।


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