गरियाबंद। अपने एक दिवसीय प्रवास में गरियाबंद पहुंचे प्रथम पंचायत मंत्री एवं राजिम विधायक अमितेष शुक्ला ने स्थानीय सर्किट हाउस में पत्रकारो से चर्चा की। इस दौरान उन्होने कहा कि जिले में कुटकी, कोदो, सनवा, कुटु चेना ज्वार के प्रोसेसिंग प्लांट लगाए जा सकते है।
ऐसे मिलेट के उत्पादन के साथ ही अनुसंधान व नई तकनीक के ज़रिए इन खाद्यानों से बनाए जाने वाले डिश व प्रीजरवेटिव कर कई दिनों तक खाने योग्य बनाये जा सकते है। यह फ़ूड स्वास्थवर्धक होने के साथ कई बीमारियों का इलाज भी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी मिलेट को लेकर जो आंदोलन किया है वह एक दूर्गामी परिणाम देने वाला सुखद विचार है।
जिसे आत्मसाध कर प्रदेश की जनता स्वस्थ व दीर्घायु होने की ओर बढ़ेगी वही हमारे किसान भाइयो को नया रोज़गार मिलेगा जिससे उनकी आय में वृद्गी होगी।
मुझे भी बाजरा और रागी की रोटी पसंद आया
इस दौरान विधायक शुक्ल ने बताया कि मुझे बाजरा और रागी का रोटी बेहद पसंद आया। इन उत्पादनों का मैं भी मैं अपने निजी ज़िंदगी के दिनचर्या में उपयोग करता हूँ। उन्होंने कहा, पिछले वर्ष हमारी सरकार ने 52 हजार क्विंटल कोदो, कुटकी, रागी की खरीदी की है। छत्तीसगढ़ एकमात्र राज्य है जो समर्थन मूल्य पर कोदो, कुटकी, रागी की खरीदी कर रहा है।
इससे किसानों को लाभ हुआ है साथ ही उत्पादन भी बढ़ा है। मिलेट्स का उपयोग सभी को ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए क्योंकि इसमें बहुत से पौष्टिक तत्व होते हैं।
प्रथम पंचायत मंत्री ने कहा, हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर में मिलेट्स कैफ़े का उद्घाटन किया है। अब हमारी सरकार मंत्रालय में मिलेट्स कैफे खोल रहे है इसके साथ ही संभागीय सी-मार्ट केंद्रों में भी मिलेट्स कैफे शुरू करेंगे।
कांकेर में सबसे बड़ी प्रोसेसिंग यूनिट
छ.ग राज्य लघु वनोपज संघ के माध्यम से प्रदेश में कोदो, कुटकी और रागी को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है। वर्ष 2021-22 में 16.03 करोड़ से 52 हजार 728 क्विंटल का कोदो, कुटकी एवं रागी की खरीदी हुई है।
स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण केन्द्र स्थापित किये गये हैं। कांकेर जिले में अवनी आयुर्वेदा ने पांच हजार टन क्षमता के मिलेट प्रसंस्करण केन्द्र निजी क्षेत्र में स्थापित किया गया है। यह एशिया की सबसे बड़ी मिलेट्स प्रसंस्करण इकाई है।
दो साल से चल रहा मिलेटस मिशन, स्कूलों के मिड-डे-मील में भी कोदो-कुटकी शामिल
छत्तीसगढ़ में 2021 से मिलेट्स मिशन चल रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च, हैदराबाद (आईआईएमआर) और 14 जिला कलेक्टरों के बीच एमओयू किया गया है। आआईएमआर ने कोदो, कुटकी, रागी के अच्छी क्वालिटी के बीज उपलब्ध कराने के साथ-साथ सीड बैंक की स्थापना में मदद करने की भी जिम्मेदारी ली है।
साथ ही वह किसानों को प्रशिक्षण भी दे रहा है। इसके साथ ही अब छत्तीसगढ़ में मिलेट्स को मिड डे मील में भी शामिल किया गया है। स्कूलों में बच्चों को मिड डे मील में मिलेट्स से बने व्यंजन दिये जा रहे हैं जिनमें मिलेट्स से बनी कुकीज, लड्डू और सोया चिक्की शामिल हैं।