कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक संपन्न, इस 14 प्रस्तावों पर लगी मुहर…


  • सबसे पहले, कांग्रेस कार्य समिति जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए हमारे बहादुर सैन्य अधिकारियों और सैन्य कर्मियों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती है. जब इस त्रासदी की ख़बरें सामने आ रही थी और देश शोक मना रहा था तब भाजपा और प्रधानमंत्री द्वारा ख़ुद को G20 की बधाई देने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में जश्न मनाना न सिर्फ़ बेशर्मी की पराकाष्ठा है, बल्कि जवानों की शहादत का अपमान है.
  • CWC पिछले एक वर्ष में कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण योगदानों के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे की सराहना करती है. वह एक प्रेरणादायक नेता के साथ-साथ सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण की मुखर आवाज़ रहे हैं. वह निडरता के साथ मोदी सरकार के हमलों से संविधान को बचाने के लिए आवाज़ बुलंद कर रहे हैं. वह लगातार प्रधानमंत्री को उनकी जनविरोधी नीतियों और कार्यक्रमों के लिए ज़िम्मेदार ठहराते रहे हैं.
  • कांग्रेस कार्य समिति राहुल गांधी के नेतृत्व में कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा की पहली वर्षगांठ पर प्रसन्नता व्यक्त करती है. यात्रा देश की राजनीति में एक परिवर्तनकारी घटना थी. जिसका उद्देश्य भारत को तोड़ने वाली शक्तियों के खिलाफ़ लोगों को एकजुट करना, बढ़ती असमानता, घटती आय, बढ़ती बेरोज़गारी और आवश्यक वस्तुओं की आसमान छूती कीमतों के विरुद्ध लोगों की आवाज़ उठाना;और बढ़ती तानाशाही, लोकतांत्रिक संस्थानों पर कब्ज़े और हमारे संघीय ढांचे पर हो रहे हमलों का विरोध करना था. CWC का संकल्प है कि हमारा पार्टी संगठन हर स्तर पर भारत जोड़ो यात्रा की भावना, उसके विचार और उद्देश्यों को आगे बढ़ाता रहेगा. साथ ही इसे हमारे देश के हर हिस्से में जीवित रखेगा. CWC का यह भी बिल्कुल स्पष्ट रूप से मानना है कि राहुल गांधी को संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किया जाना प्रधानमंत्री की राजनीतिक प्रतिशोध का नतीजा था. उनकी संसद सदस्यता फिर से बहाल होने पर CWC गहरा संतोष व्यक्त करती है. क्योंकि इससे सत्य और न्याय की जीत हुई है.
  • CWC मणिपुर में संवैधानिक तंत्र के पूरी तरह से ध्वस्त होने और वहां जारी हिंसा पर गहरा दुख व्यक्त करती है. चार महीने से ज्यादा समय से राज्य में हिंसा और अशांति का दौर जारी है. इतने दिनों में भाजपा की ध्रुवीकरण की नीतियों की वजह से राज्य बुरी तरह से विभाजित हो जुका है. प्रधानमंत्री की चुप्पी और उपेक्षा, गृह मंत्री की विफलता और मुख्यमंत्री के अड़ियल रवैये ने बेहद ही ख़तरनाक स्थिति पैदा कर दी है. जहां सुरक्षा बलों और नागरिकों के बीच और सेना/असम राइफल्स और राज्य पुलिस के बीच बार-बार टकराव की ख़बरें सामने आ रही है. मणिपुर से जो चिंगारी निकली है, अब उसके बड़े पैमाने पर उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में फैलने की आशंका है. CWC मुख्यमंत्री को तत्काल हटाने और राष्ट्रपति शासन लगाने की कांग्रेस पार्टी की मांग को दोहराती है. CWC इस बात पर भी ज़ोर देती है कि सरकार लूटे गए हथियारों और गोला-बारूद को बरामद करने, पब्लिक ऑर्डर बहाल करने, हज़ारों प्रभावितों और राज्य के शरणार्थियों के लिए इस बेहद गंभीर मानवीय संकट को ख़त्म करने का प्रयास करे. साथ ही विभिन्न समूहों के बीच बातचीत के लिए एक रूपरेखा तैयार हो.
  • कांग्रेस कार्यसमिति याद दिलाना चाहती है कि लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री ने जातिवाद, सांप्रदायिकता और क्षेत्रवाद पर 10 साल के लिए रोक लगाने का आह्वान किया था. विडंबना यह है कि भाजपा और इस सरकार द्वारा अपनाई गई विभाजनकारी और भेद-भाव से भरी नीतियों और प्रधानमंत्री द्वारा लोगों को एकजुट करने के बजाय चुनिंदा मामलों पर अपनी चुप्पी की वजह से पिछले नौ वर्षों में ये तीनों ही समस्याएं कई गुना बढ़ गई हैं. उनकी सरकार ने ग़रीबों और कमज़ोर लोगों, विशेषकर महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की है. संसद के अंदर और बाहर भाजपा के नेताओं का राजनीतिक भाषण समाज में ज़हर घोलने वाला होता है. उनके बयान नफ़रत फ़ैलाने वाले और हिंसा को बढ़ावा देने वाले होते हैं. वे विभाजनकारी ताकतों को प्रोत्साहित करते हैं और समाज का ध्रुवीकरण करते हैं. भाजपा के नेताओं और प्रवक्ताओं ने पिछले प्रधानमंत्रियों, विशेष रूप से जवाहरलाल नेहरू के योगदानों को कम करके दिखाने और आंकने की कोशिश की है. साथ ही उनकी छवि को भी विकृत किया गया है. राजनीतिक नेताओं को निशाना बनाने और उनके ख़िलाफ़ राजनीतिक प्रतिशोध के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया है. भाजपा सरकार ने सहयोगात्मक संघवाद के सिद्धांतों और प्रथाओं को नष्ट कर दिया है.
  • कांग्रेस कार्यसमिति मोदी सरकार को MSP और अन्य मांगों के मुद्दों पर किसानों और किसान संगठनों से किए गए वादों की याद दिलाती है. किसान बढ़ते कर्ज़ के बोझ तले दबे हुए हैं. कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है. नोटबंदी की मार और सरकार से किसी भी तरह का सपोर्ट न मिलने के कारण MSME सबसे ख़राब दौर में हैं. एक्सपोर्ट मार्केट सिकुड़ गया है और निर्यात में गिरावट आई है. निवेश और उपभोग का इंजन मंद पड़ा हुआ है. सरकार अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में विफल रही है. आर्थिक परिदृश्य निराशाजनक बना हुआ है. ऐसा लगता है कि इस सरकार की एकमात्र चिंता सिर्फ़ हेडलाइन मैनेजमेंट है.
  • CWC बढ़ती बेरोज़गारी और विशेष रूप से आवश्यक वस्तुओं की क़ीमतों में लगातार वृद्धि पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है. वादे के अनूरूप हर साल दो करोड़ नौकरी देने में विफल रहने के बाद प्रधानमंत्री का तथाकथित रोज़गार मेला तमाशा के अलावा कुछ नहीं है. यह पूरी प्रक्रिया सिर्फ़ और सिर्फ़ धोखा है. 2021 में होने वाली दशकीय जनगणना करवाने में विफल होना शर्म की बात है. इसके कारण अनुमानित रूप से 14 करोड़ भारतीयों को अपने भोजन के अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है. क्योंकि 2011 की जनगणना के हिसाब से जारी राशनकार्ड पर ही अभी लोग राशन ले पा रहे हैं. CWC जाति जनगणना कराने से मोदी सरकार के इंकार को भी रेखांकित करती है. पूरे देश से जाति जनगणना की मांग उठ रही है. इस मांग को मानने से भाजपा के इंकार ने सामाजिक और आर्थिक न्याय के प्रति उसकी प्रतिबद्धता की कमी के साथ-साथ पिछड़े वर्गों, दलितों और आदिवासियों के प्रति उनकी सोच को सबके सामने ला दिया है. इस संदर्भ में, CWC अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और OBC के लिए आरक्षण की मौजूदा ऊपरी सीमा को बढ़ाने का भी आह्वान करती है.
  • CWC बढ़ती बेरोज़गारी और विशेष रूप से आवश्यक वस्तुओं की क़ीमतों में लगातार वृद्धि पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है. वादे के अनूरूप हर साल दो करोड़ नौकरी देने में विफल रहने के बाद प्रधानमंत्री का तथाकथित रोज़गार मेला तमाशा के अलावा कुछ नहीं है. यह पूरी प्रक्रिया सिर्फ़ और सिर्फ़ धोखा है. 2021 में होने वाली दशकीय जनगणना करवाने में विफल होना शर्म की बात है. इसके कारण अनुमानित रूप से 14 करोड़ भारतीयों को अपने भोजन के अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है. क्योंकि 2011 की जनगणना के हिसाब से जारी राशनकार्ड पर ही अभी लोग राशन ले पा रहे हैं. CWC जाति जनगणना कराने से मोदी सरकार के इंकार को भी रेखांकित करती है. पूरे देश से जाति जनगणना की मांग उठ रही है. इस मांग को मानने से भाजपा के इंकार ने सामाजिक और आर्थिक न्याय के प्रति उसकी प्रतिबद्धता की कमी के साथ-साथ पिछड़े वर्गों, दलितों और आदिवासियों के प्रति उनकी सोच को सबके सामने ला दिया है. इस संदर्भ में, CWC अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और OBC के लिए आरक्षण की मौजूदा ऊपरी सीमा को बढ़ाने का भी आह्वान करती है.
  • CWC नए संविधान के लिए शुरू की गई चर्चा और दुर्भावना से भरे तर्कों को सिरे से ख़ारिज करती है, जिसमें कहा गया कि इसकी मूल संरचना को बदला जा सकता है. बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर और उनके साथ के अन्य देशभक्तों द्वारा तैयार किए गए संविधान पर भाजपा सरकार के हमले की सभी लोकतांत्रिक शक्तियों द्वारा भर्त्सना की जानी चाहिए और विरोध किया जाना चाहिए. हमारा संविधान महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में हमारे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों को दर्शाता है. CWC मोदी सरकार के पाखंड और दोहरेपन को भी सबके समक्ष रखना चाहती है. प्रधानमंत्री एक तरफ़ दुनिया को महात्मा गांधी को लेकर उपदेश देते हैं दूसरी तरफ़ उनके ख़िलाफ़ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने वालों और उनकी विरासत पर हमला करने वालों को खुली छूट देते हैं.
  • इस सरकार के आने के बाद से संसदीय बहस और जांच लगभग गायब ही हो गई है. कई महत्वपूर्ण और दूरगामी कानून को उचित जांच और चर्चा के बिना जल्दबाज़ी में आगे बढ़ा दिया गया है. संसद में पेश किया गया मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति आदि) विधेयक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से गंभीर समझौता करने वाला है. सरकार अचानक संसद का विशेष सत्र बुला लेती है. कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सार्वजनिक चिंता और महत्व से जुड़े नौ गंभीर मुद्दों उठाए, जिन पर इस विशेष सत्र में चर्चा की आवश्यकता है. CWC इस पहल के लिए और पार्टी संगठन को मज़बूत करने में उनकी निरंतर अभिरुचि के लिए उन्हें धन्यवाद देती है. कांग्रेस कार्यसमिति महिला आरक्षण बिल को संसद के इस विशेष सत्र में पारित करने की माँग करती है.
  • CWC बिज़नेस ग्रुप के लेनदेन पर अबतक हुए और अभी भी लगातार हो रहे गंभीर एवं चौंकाने वाले खुलासों की जांच के लिए JPC की मांग को दोहराती है. क्योंकि अडानी ग्रुप प्रधानमंत्री की घनिष्ठ मित्रता और सरकार की पक्षपातपूर्ण नीतियों और प्रशासनिक उदारता का प्रमुख लाभार्थी रहा है.
  • ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का प्रस्ताव देश के संघीय ढांचे पर एक और हमला है. मोदी सरकार ने राज्यों के कर राजस्व हिस्सेदारी में कमी करके, राज्यपाल के कार्यालयों का दुरुपयोग करके, विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करने में बाधाएं उत्पन्न करके – जैसा कि कर्नाटक में फ़ूड सिक्योरिटी गारंटी के मामले में हुआ- सुनियोजित ढंग से संघवाद को कमज़ोर कर दिया है. केंद्र ने विपक्ष द्वारा शासित राज्यों को इमरजेंसी फंड और आपदा राहत देने से भी इंकार किया है – हिमाचल इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, जहां बाढ़ और भूस्खलन से काफ़ी नुक़सान पहुंचा है.
  • CWC स्पष्ट शब्दों में चीन द्वारा भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ और नक्शा में अरुणाचल प्रदेश और भारत के अन्य हिस्से को शामिल करने जैसी उसकी उकसावे की नीति की निंदा करती है. यह बेहद अफ़सोसजनक है कि 19 जून, 2020 को चीन को क्लीन चिट देकर और भारतीय क्षेत्र पर क़ब्ज़े की बात से इंकार करके प्रधानमंत्री ने देश को गुमराह किया. उनका वह बयान न सिर्फ़ हमारे जवानों की शहादत का अपमान है बल्कि उससे चीन को सीमा का उल्लंघन जारी रखने के लिए भी प्रोत्साहन मिला है. CWC सरकार से चीन के साथ सीमा विवाद पर स्थिति स्पष्ट करने और भारतीय क्षेत्र की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए किसी भी चुनौती के ख़िलाफ़ मजबूत रुख अपनाने का आह्वान करती है.
  • कांग्रेस कार्यसमिति सांप्रदायिक एकता, सामाजिक, आर्थिक समानता, नौजवानों की अपेक्षाओं और एक सशक्त भारत की गौरव यात्रा में देशवासियों के साथ मज़बूती से खड़ी है. कार्यसमिति यह प्रण लेती है कि वह एक ऐसे देश का निर्माण करेगी जिसमें हर जाति व धर्म के लोग, अमीर, ग़रीब, नौजवान और बुज़ुर्ग सब गौरवान्वित महसूस करें.
  • अंत में CWC इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (INDIA) की निरंतर एकजुटता का तहे दिल से स्वागत करती है. इससे प्रधानमंत्री और भाजपा काफ़ी बौखलाए हुए हैं. CWC INDIA की पहल को वैचारिक और चुनावी रूप से सफल बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी के संकल्प को दोहराती है ताकि हमारा देश विभाजनकारी और ध्रुवीकरण की राजनीति से मुक्त हो, सामाजिक समानता और न्याय मे विश्वास रखने वाली ताकतें मज़बूत हों और लोगों को एक उत्तरदायी, संवेदनशील, पारदर्शी, जवाबदेह और ज़िम्मेदार केंद्र सरकार मिले.

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