बृजमोहन अग्रवाल द्वारा 100 से अधिक साधु-संतों और पुजारियों के विभिन्न राज्यों से आने जाने की व्यवस्था उनके रहने और ठहरने के पूरे इंतजाम, उनके भोजन की पूरी व्यवस्था एवं संतों के धार्मिक जुलूस के लिये सैकड़ों गाड़ियों, साउंड सिस्टम, बड़े-बड़े स्पीकर, बैनर-पोस्टर और प्रचार की अन्य व्यवस्थाओं में लगभग 15 लाख रू. का खर्च किया गया जो कि प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल चुनावी खर्च में शामिल किया जाये तथा बृजमोहन अग्रवाल पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के खिलाफ कठोर से कठोर कार्यवाही की जाये।
राजिम पुन्नी मेला छत्तीसगढ़ संस्कृति की पहचान है जिसे संस्कृति मंत्री रहते बृजमोहन अग्रवाल ने केवल अपने राजनैतिक लाभ के लिये कुंभ का नाम दिया। सनातन परंपरा में कुंभ के केवल चार स्थल ही चिन्हांकित है। बृजमोहन अग्रवाल मंत्री रहते छत्तीसगढ़ के संतों की उपेक्षा कर, तथाकथित राजिम कुंभ आयोजन में बाहर के साधु संतों को बुलाकर वहां भी अपने भ्रष्टाचार के लिये अवसर तलाश लिये। क्या बृजमोहन अग्रवाल छत्तीसगढ़ के साधु और संतों को महान और सम्मानित नहीं मानते आखिर देश के विभिन्न राज्यों से साधु और संतों को बुलाने की आवश्यकता आखिर क्यों पड़ी ? इस बात का जवाब बृजमोहन अग्रवाल को देना चाहिये।