मुख्यमंत्री ने शुरू की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के कार्यों की समीक्षा


0 कई बड़े अस्पतालों ने आयुष्मान के तहत इलाज कर दिया है बंद…

रायपुर। राज्य में लोकसभा चुनाव के बाद सभी शासकीय विभागों की समीक्षा शुरू की गई है। इसके तहत आज मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय विभाग की समीक्षा कर रहे हैं। इस बैठक में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल भी उपस्थित हैं। बताया जा रहा है कि इस बैठक में सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान योजना पर विशेष रूप से चर्चा होगी क्योंकि इस योजना के तहत प्रदेश के अस्पतालों का करोड़ों रुपया बकाया है। जिसके चलते अनेक बड़े अस्पतालों ने तो इलाज करना ही बंद कर दिया है।

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अस्पतालों में अव्यवस्था को लेकर चर्चा में है स्वास्थ्य विभाग

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की बात करें तो इन दिनों अव्यवस्था को लेकर स्वास्थ्य विभाग काफी चर्चा में है। आलम यह है कि हाईकोर्ट भी बदहाल व्यवस्था को लेकर खुद ही जनहित याचिका दायर कर रहा है। ताजा मामला प्रदेश के शासकीय अस्पतालों में नवजात शिशुओं के इलाज की पार्यप्त व्यवस्था नहीं होने को लेकर है, जिसमें कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए याचिका दायर की और सरकार को आदेशित किया कि शिशुओं के इलाज की पर्याप्त व्यवस्था शासकीय अस्पतालों में की जाये। इससे पूर्व बिलासपुर के सिम्स अस्पताल की बदहाल व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया था। कोर्ट के आदेश पर आज भी सिम्स की व्यवस्था में सुधार के लिए सचिव स्तर के अधिकारी जुटे हुए है।

कलेक्टरों के आकस्मिक निरीक्षण में भी खामियां हो रही उजागर

प्रदेश में लगातार दो चुनावों के दरम्यान सत्ता बदली और इस बीच स्वास्थ्य व्यवस्था की ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया। अब जब अधिकारी औचक दौरे कर रहे हैं तो अव्यवस्था उजागर हो रही है। आलम ये है कि अस्पतालों में डॉक्टर समय नहीं पहुंचते। धमतरी कलेक्टर के औचक दौरे में तो जिला अस्पताल के पूरे डॉक्टर और सिविल सर्जन भी नदारद थे। ऐसे ही कुछ और जिलों में डॉक्टर दौरे के समय नदारद पाए गए। बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण के दौरे में तो एक्सपायरी दवाएं मिलीं। दरअसल प्रदेश भर में जो स्वास्थ्य अमला है वह प्रशासनिक दबाव नहीं होने के चलते लापरवाह हो चला है। इस व्यवस्था में सुधार की जरुरत है। इस मुद्दे पर भी समीक्षा बैठक में चर्चा होगी।

आयुष्मान योजना का मुद्दा अहम

आयुष्मान भारत योजना या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, भारत सरकार की एक स्वास्थ्य योजना है, जो छत्तीसगढ़ में भी लागू है और इसका लाभ आयुष्मान कार्ड धारक उठा रहे हैं। मगर इस योजना के तहत जिन निजी अस्पतालों में इलाज किया जा रहा है उनके बकाये का भुगतान करने में काफी विलंब हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित पैकेज के आधार पर अस्पतालों को भुगतान किया जाना है, मगर देरी के चलते हर महीने अस्पतालों का बकाया बढ़ता जा रहा है।

पुराने बकाये के लिए केवल आश्वासन

दरअसल प्रदेश में सरकार के बदलने के बाद नई सरकार ने निजी अस्पतालों में आयुष्मान के तहत इलाज करने वाले अस्पतालों का वर्तमान का भुगतान शुरू कर दिया है, मगर पुराने बकाये के लिए केवल आश्वासन मिल रहा है। यही वजह है कि राजधानी के बड़े अस्पताल रामकृष्ण केयर और MMI ने तो घोषित तौर पर आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का इलाज करना बंद कर दिया है। वहीं कई अस्पतालों ने तो पुराने पैसे मिलने की आस में योजना के तहत इलाज करना जारी रखा है।

अनुमानित बजट से खर्च ज्यादा

जानकार बताते हैं कि प्रदेश में आयुष्मान योजना के तहत साल भर के लिए सरकार द्वारा जितना अनुमानित बजट तय किया जाता है, खर्च उससे ज्यादा हो रहा है। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में हर माह आयुष्मान योजना के तहत इलाज में लगभग 200 करोड़ रूपये खर्च हो रहे हैं। मगर इसके मुकाबले केंद्र और राज्य सरकार कम बजट आबंटित कर रहे हैं। हालांकि यह भी जानकारी सामने आ रही है कि नई सरकार के कामकाज संभालने के पहले की किश्तों का आना शुरू हो गया है। इससे अब तक जनवरी के महीने तक का भुगतान होने की संभावना जताई जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में आयुष्मान योजना के बकाये भुगतान को लेकर कोई ठोस फैसला किया जायेगा, ताकि इसके चलते मरीजों के इलाज में आ रही दिक्कतों को दूर किया जा सके।

इस समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव मनोज पिंगुआ, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, पी. दयानंद, डॉ. बसव राजू एस सहित स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित हैं।


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