रायपुर। GODHAN NYAY YOJNA : कृषक परिवार से जुड़े छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जमीनी हकीकत पर केन्द्रित ‘सुराजी गांव योजना‘ की परिकल्पना की है। उनके कुशल मार्गदर्शन में इस योजना पर तेजी से अमल किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देशन में किसानों से धान खरीदी, उनकी कर्जमाफी, राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना जैसी अभिनव योजनाओं से प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है ।


आजीविका सृजन एवं जीवनयापन का सशक्त माध्यम बन रहे हैं गौठान

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जल संरक्षण, पशु संवर्धन, मृदा स्वास्थ्य एवं पोषण प्रबंधन की कार्यवाही को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परम्परा से जोड़ा गया है। आम जन के सहयोग से योजना को सफल करने सुराजी गांव योजना के माध्यम से नरवा, गरूवा, घुरुवा, बाड़ी संरक्षण एवं संवर्धन का अभियान प्रारंभ किया है। सांस्कृतिक परंपरा से परिपूर्ण इस कार्यक्रम को सरकार ने अपनाते हुए इसको एक अभियान के रूप में लिया है।
प्रदेश सरकार द्वारा हरेली के दिन 20 जुलाई 2020 को गोधन न्याय योजना का शुभारंभ किया गया। इसके अंतर्गत सुराजी गांव में स्थापित गौठानों के माध्यम से गौठान समितियों द्वारा 2 रूपए प्रति किलो की दर से खरीदा जा रहा है। गौठानों में इस गोबर से स्व सहायता समूहों द्वारा वर्मी कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट एवं सुपर कंपोस्ट प्लस का उत्पादन किया जाता है। वर्मी कंपोस्ट को 10 रूपए प्रति किलो, सुपर कंपोस्ट 6 रूपए प्रति किलो एवं सुपर कंपोस्ट प्लस 6.50 रूपए किलो की दर से किसानों को विक्रय किया जा रहा है।
इस योजना से गोबर से निर्मित वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट जैसे कार्बनिक खाद से कृषकों के खेतों में जैविक खेती की दिशा में उत्कृष्ट पहल की जा रही है। रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों का उपयोग कम होने से भूमि, जल, वायु, पर्यावरण के प्रदूषण को कम करके खाद्य ऋंखला में रसायनों के अवशेष को कम किया जा रहा है। जिससे खाद्य पदार्थों गुणवत्ता में सुधार होने की पूर्ण संभावना है। खरीफ वर्ष 2023 हेतु रासायनिक उर्वरकों की खपत को कम करके गुणवत्तापूर्ण अधिकतम वर्मी कम्पोस्ट कृषकों को उपलब्ध कराने की दिशा में सार्थक प्रयास किया जा रहा है।
नरवा, गरूवा, घुरुवा, बाड़ी के संरक्षण एवं संवर्धन का अभियान है सुराजी गांव योजना
गोधन न्याय योजना के तहत निर्मित गौठानों में न सिर्फ गोबर की खरीदी, खाद निर्माण और बिक्री भी की जा रही है, बल्कि इसके इतर आजीविका सृजन के नवीन मापदण्ड अपनाए जा रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था स्वावलम्बी, सम्बल और मजबूत बनती जा रही है। गौठान अब न केवल गोबर खरीदी-बिक्री केन्द्र हैं, बल्कि जीवनयापन का सशक्त माध्यम बन चुके हैं। इन गौठानों में वर्मी खाद और विक्रय के अलावा सब्जी उत्पादन, मशरूम स्पॉन, मुर्गी पालन, बकरीपालन, अण्डा उत्पादन, केंचुआ उत्पादन, मसाला निर्माण, कैरीबैग एवं दोना-पत्तल निर्माण, बेकरी निर्माण, अरहर एवं फूलों की खेती सहित विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को समूह के सदस्य भलीभांति अंजाम दे रहे हैं। जिले के कुरूद विकासखण्ड के गौठानों में आजीविकामूलक गतिविधियों की सफलता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्पादन कार्य के लागत व्यय को अलग करने के बाद लगभग लाखों रूपए की अतिरिक्त आय इन समूहों को हुई है, जो अपने आप में एक कीर्तिमान है।
लगातार मिल रहे हैं पुरस्कार
दिल्ली टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी नई दिल्ली के डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना को ई-गवर्नेंस अवार्ड 2022 से नवाजा गया है। यह पुरस्कार कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया (स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप ऑन ई-गवर्नेंस) द्वारा दिया जाता है। गोधन न्याय योजना को राज्य और प्रोजेक्ट केटेगरी में चयनित किया गया है। उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना को पूर्व में ‘‘स्कॉच गोल्ड अवार्ड’’ और राष्ट्रीय स्तर पर एलेट्स इनोवेशन अवार्ड’’ भी मिल चुका है।
गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी में स्वावलंबी गौठान न सिर्फ अपनी सहभागिता निभा रहे हैं बल्कि निरंतर बढ़त बनाए हुए हैं। बीते कई पखवाड़ों से गोबर खरीदी के एवज में भुगतान की जा रही राशि में स्वावलंबी गौठानों की हिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत तक रहने लगी है। आज की स्थिति में 50 फीसदी से अधिक गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं, जो स्वयं की राशि से गोबर एवं गौमूत्र की खरीदी के साथ-साथ गौठान की अन्य गतिविधियों को स्वयं की राशि से पूरा कर रहे हैं।
गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को हो चुका है अब तक 445 करोड़ 14 लाख रूपए का भुगतान
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 21 मई दुर्ग जिले के सांकरा पाटन में आयोजित हो रहे भरोसे के सम्मेलन में गोधन न्याय योजना के हितग्राहियो को 13 करोड़ 57 लाख रूपए की राशि का ऑनलाईन अंतरण करेंगे। जिसमें 01 मई से 15 मई तक गौठानों में क्रय किए गए 1.98 लाख क्विंटल गोबर के एवज में ग्रामीण पशुपालकों को 3.95 करोड़ रूपए तथा गौठान समितियों को 5.66 करोड़ एवं स्व-सहायता समूहों को 3.96 करोड़ रूपए की लाभांश राशि शामिल है।
गौरतलब है कि गोधन न्याय योजना के तहत गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को 30 अप्रैल 2023 की स्थिति में 445 करोड़ 14 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है। 21 मई को 13.57 करोड़ रूपए का भुगतान होने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 458 करोड़ 71 लाख रूपए हो जाएगा।