Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीतियों का जीवन में उतार पाना बेहद मुश्किल है, लेकिन जिसने भी इन नीतियों को अपने जीवन में अपना लिया, उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। आचार्य चाणक्य की गिनती दुनिया के शीर्ष विद्वानों में की जाती है। चाणक्य द्वारा लिखित ग्रंथ चाणक्य नीति में में उन्होंने मानव व्यवहार के बारे में विस्तृत उल्लेख किया है और आचार्य चाणक्य ने धर्म, अर्थ, ज्ञान, गुण व स्वभाव आदि के बारे में विस्तार से बताया है। आचार्य चाणक्य ने एक श्लोक में बताया है कि किस तरह के व्यक्तियों को अपना व्यवहार जल्द बदल लेना चाहिए। आचार्य चाणक्य ने एक श्लोक में लिखा है कि –
दुराचारी च दुर्दृष्टि: दुराऽऽवासी च दुर्जनः।
यन्मैत्री क्रियते पुम्भिर्नरः शीघ्र विनश्यति॥
इन लोगों की संगति में कभी न रहें
आचार्य चाणक्य के मुताबिक कभी भी बुरे चरित्र वाले और बगैर किसी कारण के दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाले और दूषित स्थान पर रहने वाले व्यक्ति की संगति से जल्द ही जीवन में बुरा वक्त आ सकता है। ऐसे समय में उसे कोई भी साथ नहीं देता है।
आचार्य चाणक्य के मुताबिक दुर्जन व्यक्ति का साथ नरक में निवास करने के समान होता है। ऐसे में भलाई इसी में है कि जितनी जल्दी हो सके, बुरी संगति को त्याग देना चाहिए। आचार्य ने यह भी कहा है कि दोस्ती करने से पहले व्यक्ति की अच्छे से परख कर लेनी चाहिए। साथ ही अपनी बराबर की हैसियत वालों से दोस्तों करना भी फायदेमंद होता है क्योंकि यह दोस्ती ज्यादा भरोसेमंद होती है।