Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य एक लोकप्रिय अर्थशास्त्री, कूटनीतिज्ञ और रणनीतिज्ञ रहे हैं. उन्होंने कई विषयों पर गंभीरता से अध्ययन किया है और अपने अनुभवों के आधार पर चाणक्य नीति बनाई है. चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने बहुत से ऐसी बातों व नीतियों का जिक्र किया है जो कि व्यक्ति को जीवन में सफलता हासिल करने में मदद करती हैं. वहीं जीवन के कुछ नियमों के बारे में भी खुलकर बताया गया है. आचार्य चाणक्य का कहना है कि व्यक्ति के जीवन में कभी खुशी तो कभी गम आते रहते हैं. ऐसे में खुश होने पर उसका अधिक इजहार न करें और दुखी होने पर भी खुद से कोई वादा न करें. क्योंकि खुशी और गम तो जीवन में आते-जाते रहते हैं लेकिन इस दौरान किए गए कुछ काम जीवन में बहुत गहरा प्रभाव डालते हैं. जिसकी वजह से व्यक्ति को कई बार बुरे परिणाम भुगतने पड़ते हैं. इसलिए आचार्य चाणक्य का कहना है कि खुशी या दुख में कुछ काम भूलकर नहीं करने चाहिए. आइए जानते हैं इन कामों के बारे में.
खुश होने पर न करें कोई वादा
आचार्य चाणक्य का कहना है कि व्यक्ति के जीवन में यदि कोई खुशी या प्रसन्नता का मौका आया है तो उसका बहुत अधिक इजहार नहीं करना चाहिए. प्रसन्न होने पर कोई वादा भी देना चाहिए. खुशी के मौके पर अपनी भावनाओं को काबू में रखें क्योंकि कई बार खुशी में ऐसा वादा कर बैठता है जिसकी वजह से बाद में नुकसान उठाना पड़ता है.
दुख में निर्णय लेने से बचें
चाणक्य नीति के अनुसार अगर जीवन में दुख या बुरा समय आया है तो कोई भी निर्णय न लें. क्योंकि बुरा समय होने पर व्यक्ति अपने सोचने समझने की शक्ति खो बैठता है और इस दौरान लिया गया निर्णय आपको मुश्किल में डाल सकता है. इसलिए बेहतर है कि दुख की घड़ी में कोई निर्णय न लें.
क्रोध में जवाब
जब व्यक्ति क्रोधित होता है तो वह सही-गलत की समझ खो बैठता है और उसकी जुबां से ऐसी बातें निकल जाती हैं जो कि जिंदगीभर के लिए रिश्तों में दरार ला सकती हैं. इसलिए क्रोधित होने पर व्यक्ति को अपने मुंह पर ताला लगा लेना चाहिए. क्रोध की स्थिति में जबाव न देना ही सबसे बेहतर उपाय है और ऐसे में खुद को शांत रखने की कोशिश करें.