रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की मेरिट लिस्ट पर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रही है। अब इस मुद्दे पर प्रदेश के बड़े नेताओं ने एक-दूसरे को चुनौती दे दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा से कहा कि बयानबाजी न करें, प्रमाण हैं तो दे जांच कराएंगे।
वहीं इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ विधायक व पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि, टॉप 20 में अधिकारी-नेता के बच्चे हैं। प्रमाण की जरूरत नहीं, उनकी सूची ही प्रमाण है। वहीं भाजपा नेता और पूर्व आईएएस ओपी चौधरी ने हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में न्यायिक जांच की मांग की है।
उन्होंने कहा कि पीएससी विवाद राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह युवा भाई-बहनों का संदेह है। कांग्रेस की सरकार आने के बाद तरह-तरह के आरोप लगे हैं। युवाओं की मांग है कि कार्बन कॉपी हो, वीडियोग्राफी हो, मॉडल आंसर की ट्रांसपेरेंसी और पारदर्शिता के लिए युवा मांग करते रहे हैं। मगर इनकी मांगे पूरी नहीं हो रही हैं।
ओपी चौधरी ने कहा कि अभी जो परिणाम आये है, उसमें पीएससी के अधिकारियों के रिश्तेदारों की नियुक्ति, कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं के परिवारों की नियुक्ति, भाई-बहन, पति-पत्नी की नियुक्ति, इन सबसे संदेह निर्मित हुआ है। ऐसी स्थिति में हाई कोर्ट के रिटायर्ड ऑफिसर से राज्य सरकार को जांच करवाना चाहिए, जिससे युवाओं में हताशा-निराशा का माहौल ना बने।
वहीं, पीएससी के विवाद पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि ये आरोप हम नहीं लगा बल्कि युवा लगा रहे हैं। प्रदेश के युवा रिजल्ट पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। युवाओं ने पीएससी की विश्वनीयता पर आशंका व्यक्त की है।
पीएससी के विवाद को लेकर भारतीय जनता युवा मोर्चा गुरुवार को छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के दफ्तर का घेराव करेगी। वहीं पीएससी परिणाम को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का आज आंदोलन है। एबीवीपी के सदस्य धरना देंगे।