BREAKING : ACB ने की बड़ी कार्रवाई, रिश्वत लेते रंगेहाथों पटवारी-कोटवार पकड़ाए, मचा हड़कंप, जानिए पूरा मामला…..


दुर्ग। जिले से बड़ी खबर सामने आई है। एसीबी की टीम ने रिश्वतखोर पटवारी और कोटवार को गिरफ्तार किया है। दोनों ऋण पुस्तिका देने के नाम पर 90 हजार की रिश्वत की मांग किये थे। पहली किस्त 20 हजार लेते एसीबी की टीम ने रंगे हाथ दोनों को पकड़ा है। दोनों की गिरफ्तारी की खबर के बाद तहसील कार्यालय में हड़कंप मच गया।


दरअसल, पीड़ित प्रकाश चन्द्र देवांगन, ग्राम रानीतराई, तहसील पाटन जिला-दुर्ग द्वारा एन्टी करप्शन ब्यूरो रायपुर में शिकायत की गई। शिकायत में बताया कि उनकी माता के नाम से ग्राम सुरपा, तहसील पाटन, जिला-दुर्ग में कृषि भूमि कय किया गया था।

उक्त जमीन के प्रमाणीकरण कर ऋण पुस्तिका देने हेतु पटवारी चिन्मय अग्रवाल द्वारा 90 हजार रुपये रिश्वत की मांग की गई थी। प्रार्थी रिश्वत नहीं देना चाहता था बल्कि आरोपी को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़वाना चाहता था।

शिकायत सत्यापन दौरान मोलभाव कर 70,000 रूपये में सहमति हुई। प्रार्थी 20,000 रू. की व्यवस्था कर पाया, जिसे आज 24 दिसम्बर को ट्रेप आयोजित कर प्रार्थी से आरोपी चिन्मय अग्रवाल, पटवारी सुरपा, तहसील पाटन एवं उसके सहयोगी कोटवार भूषण लाल टेमरी, तहसील पाटन को पहली किश्त 20,000 रिश्वत लेते रंगे हाथो पकड़ा गया। दोनों ही आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके विरुद्ध धारा 7 पीसीएक्ट 1988 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जा रही है।

पहली किश्त लेते पकड़ाए पटवारी-कोटवार

पाटन के रानीतराई निवासी प्रकाश चन्द्र देवांगन ने एन्टी करप्शन ब्यूरो कार्यालय में शिकायत की गई थी कि, उनकी माता के नाम से ग्राम सुरपा तहसील पाटन में कृषि जमीन खरीदा गया था। जमीन के प्रमाणीकरण कर ऋण पुस्तिका देने के लिए पटवारी चिन्मय अग्रवाल ने 90 हजार रुपए रिश्वत की मांग की थी।

प्रार्थी रिश्वत नहीं देना चाहता था, बल्कि आरोपी को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़वाना चाहता था। शिकायत सही पाने के बाद मोलभाव कर 70 हजार रुपए घूस की रकम देने की सहमति हुई थी। प्रार्थी ने घूस की पहली किश्त 20 हजार की व्यवस्था की और पटवारी चिन्मय अग्रवाल पटवारी, उसके सहयोगी कोटवार भूषण लाल टेमरी को पैसा दिया। जिन्हें ACB के अधिकारियों ने रिश्वत लेते दोनों को रंगे हाथों पकड़ा गया।

प्रकाश चन्द्र देवांगन ने जो घूस की रकम दी, उस नोट पर एसीबी कार्यालय से पाउडर लगे नोट दिए गए थे। 24 दिसंबर को 2024 की दोपहर जैसे प्रकाशचन्द्र ने कार्यालय जाकर रिश्वत की रकम दी, पीछे से एसीबी की टीम वहां पहुंच गई। उन्होंने दोनों आरोपियों के पास से रिश्वत की रकम को जब्त कर लिया है।


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