पटना। बिहार में आज नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। जनता दल (यू) के विधायक रत्नेश सदा ने मंत्री पद की शपथ ली है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार ने मंत्रीमंडल का विस्तार किया है। सोनबरसा से तीन बार के विधायक रत्नेश सदा को जदयू कोटे से मंत्री बनाया गया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीते दिनों अचानक फोन कर उन्हें पटना बुलाया था और उन्हें फिलहाल पटना नहीं छोड़ने के निर्देश भी दिए थे।
जेडीयू को मिला संतोष सुमन का विकल्प
माना जा रहा है रत्नेश सदा के रूप में नीतीश कुमार ने जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन का विकल्प ढूंढा है. सदा मुसहर समाज से ही आते है और इन्हें ज्यादा जनाधार वाला नेता माना जाता है। अगस्त 2022 में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद लंबे समय से मंत्रिमंडल विस्तार की बात चल रही थी। वर्तमान में, सुमन के इस्तीफे के बाद बिहार मंत्रिमंडल में 30 मंत्री हैं. विधानसभा की कुल संख्या के आधार पर अधिकतम 36 मंत्री हो सकते हैं. मंत्रिमंडल में राजद के 16, जदयू के 11 और कांग्रेस के दो मंत्री हैं।
एक निर्दलीय सदस्य भी है। उधर, विपक्षी दलों की बैठक के पूर्व संतोष सुमन के मंत्रिमंडल से इस्तीफा के बाद राज्य की सियासत गर्म हो गई है. संतोष ने कहा कि उनके इस्तीफा देने की वजह यही है कि उनके पास विलय करने का प्रस्ताव आया था। उन्होंने कहा कि हमने इस बारे में अपने कार्यकर्ताओं, विधायकों से विचार-विमर्श किया तो इस पर किसी की सहमति नहीं मिली।
संतोष सुमन ने कहा कि विलय का प्रस्ताव जेडीयू की तरफ से आया था। उन्होंने कहा कि जदयू की भावनाओं का हम सम्मान करते हैं लेकिन हमारी पार्टी के गठन के पीछे भी कुछ मुद्दे हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए हमने संघर्ष का रास्ता चुना और विलय के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। संतोष सुमन फिलहाल खुद को महागठबंधन में ही बता रहे हैं जबकि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने इशारों में साफ कर दिया है कि वे महागठबंधन से बाहर हो चुके हैं।