रायपुर. कलेक्टरी के बाद राजनीति में आने वाले ओपी चौधरी 2023 का विधानसभा चुनाव चंद्रपुर से लड़ सकते हैं ! वैसे चर्चा रायगढ़ सीट को लेकर भी है. हालांकि ओपी कहते हैं निर्णय संगठन के हाथ में है. लेकिन ओपी को अधिक प्यार चंद्रपुर से है, क्योंकि जांजगीर कलेक्टर रहते हुए उन्होंने वहां काम किया है. वैसे ओपी इन दिनों राजनीति के साथ खेती-किसानी भी जमकर कर रहे हैं.गौरतलब है कि, 2018 का चुनाव ओपी चौधरी अपने गृहनगर खरसिया से हार गए थे. खरसिया कांग्रेस का गढ़ है और वहां से भाजपा कभी चुनाव नहीं जीती है. ऐसे में पहला चुनाव लड़ते हुए ओपी ने एक बड़ी चुनौती वहां स्वीकार की थी. लेकिन परिणाम वहीं आया जिसका पूर्वानुमान था.
ये तो बात 2018 की हुई है. लेकिन 2023 को लेकर ओपी चौधरी कुछ और ही सोच रहे हैं. लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में ओपी चौधरी कहते हैं कि, मैं तो संगठन का काम कर रहा हूं. मुझे जो जिम्मेदारी दी गई है उसे निभा रहा हूं. इस वक्त मैं भाजपा संगठन में प्रदेश महामंत्री हूं. मेरा काम है संगठन को मजबूत करना, कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए तैयार करना, उसी कार्य में जोर-शोर से लगा हुआ हूं. 23 और 24 में क्या होगा ? इसकी चिंता मुझे नहीं है.
वैसे राजनीति मेरा प्रमुख कार्य है, लेकिन इन दिनों मैं खेती-किसानी की ओर भी तन-मन से लगा हुआ हूं. धान की जगह मैं फल की खेती की ओर हूं और किसानों को इस ओर जागरुक करने का काम भी कर रहा हूं. गांव में रहता हूं तो सुबह के वक्त खेत में ही बीताता हूं और यहीं लोगों से मिलता भी हूं.
जहां तक चुनाव का सवाल है तो निर्णय तो संगठन को ही लेना है. मैं तो हर मोर्चें पर तैयार हूं एक सिपाही की तरह है. खरसिया मेरा गृह नगर है, लेकिन जांगगीर कलेक्टर रहते हुए मैंने चंद्रपुर में काफी काम किया है. चंद्रपुर के लोगों से मेरा एक अलग ही जुड़ाव है. वहां के लोगों से मुझे खूब प्यार मिलता है. गृह जिला रायगढ़ होने के नाते वहां के लोगों से भी मेरा पुराना संबंध है. लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि चंद्रपुर के लोगों से आज भी भरपूर प्यार मिलता है. वहां के लोग अभी भी मेरे जांजगीर कलेक्टर के कार्यकाल को याद करते हैं.
ओपी चौधरी कहते हैं कि मैं तो राजनीति में जनसेवा के लिए आया हूं. पार्टी की ओर से मुझे एक कार्यकर्ताओं के तौर पर जो जिम्मेदारी दी गई है उसे 100 फीसदी निभाने में लगा हूं. 2023 चुनाव को लेकर रणनीतिक तैयारियां जारी है. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का माहौल दिख रहा है. जनता बीजेपी के साथ खड़ी नजर आ रही है. मुझे पूर्ण भरोसा है कि बीजेपी की वापसी होगी !
छत्तीसगढ़ भाजपा के भविष्य होने के सवाल कहते हैं कि ऐसी चर्चा राजनीति में आम है. मैं गांव का निमगा छत्तीसगढ़िया किसान हूं. यही मेरी असल पहचान है. भविष्य में क्या होगा क्या नहीं ? भविष्य की बात है. फिलहाल भाजपा में एक महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन कर रहा हूं और यही आज है. मैं शत-प्रतिशत काम पर विश्वास करता हूं और संगठन के इसी विश्वास पर खरे उतरते रहना ही मेरी प्राथमिकता है.
बता दें कि चंद्रपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस काबिज है. कांग्रेस के रामकुमार यादव 2018 में कड़े मुकाबले भाजपा से जीतने में कामयाब रहे थे. 2018 में चंद्रपुर सीट से स्वर्गीय युद्धवीर सिंह जूदेव की पत्नी संयोगिता जूदेव चुनाव लड़ी थीं. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद बीते चार चुनाव में 2003 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, 2008 और 2013 में भाजपा और 2018 में कांग्रेस चुनाव जीतने में सफल रही