भिलाई नगर, 11 दिसंबर। मुक्तिधाम के नाम पर यूं तो हर कोई सहम जाता है, हर किसी की इच्छा होती है कि उसका जल्दी मुक्तिधाम से वास्ता न पड़े लेकिन मृत्यु भी जन्म की तरह ही एक आवश्यक और यथार्थ सत्य है। सनातन धर्म में जन्म जन्मांतर के चक्र से मुक्ति पाकर प्रभु के चरण में शरण पाने के लिए जीवन मे 16 संस्कारों का पालन करना होता है। इनमें से 16वां संस्कार अंतिम संस्कार कहा जाता है, जो कि मरणोपरांत किया जाता है और इसके लिए ही मुक्तिधाम बनाए जाते हैं। जहां अलग अलग रिवाजों के अनुसार शवों का अंतिम संस्कार होता है। आम तौर पर मुक्तिधाम का माहौल ही शोक वाला और उदासी भरा रहता है। यही सब कारण है लोग मुक्तिधामों में मजबूरी में ही जाते है। वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन ने रामनगर मुक्तिधाम को कुछ इस तरह वेल डेवलप्ड करने की पहल शुरू की है जो मुक्तिधाम की सारी धारणा अवधारणा और सोच को न सिर्फ बदल देगा बल्कि उनका मानना है कि सबकुछ प्रोजेक्ट के मुताबिक सकारात्मक रहा तो बहुत जल्द राम नगर मुक्तिधाम का यह विशेष स्वरूप भी भिलाई की पहचान में शुमार होगा।
दो पूर्ण और आंशिक रूप से तीन सहित 5 विधानसभा के लोग रामनगर मुक्तिधाम पर हैं आश्रित
आपको बता दें कि भिलाई, वैशाली नगर, अहिवारा, दुर्ग ग्रामीण और दुर्ग शहर विधानसभा में कहीं आंशिक तो कहीं पूर्ण रूप से अंतिम संस्कार के लिए वैशाली नगर विधानसभा अंतर्गत राम नगर मुक्तिधाम पर ही लोगों को अंतिम संस्कार के लिए आश्रित रहना पड़ता है। राज्य और नगर निगम द्वारा समय समय पर मुक्तिधाम के लिए लाखों रूपये खर्च किए जाते रहे हैं लेकिन अब भी समुचित व्यवस्था और राशि के अभाव में रामनगर मुक्तिधाम वर्षों बाद भी वेल डेवलप्ड स्वरूप आज तक हासिल नहीं कर पाया है। वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन के प्रयास से लगभग एक वर्ष के भीतर राम नगर का मुक्तिधाम छत्तीसगढ़ ही नहीं देश में भी अपनी विशेष पहचान हासिल करेगा।
प्रतिमा, उपवन, प्रार्थना कक्ष सहित विशेष आध्यात्मिक स्वरूप और वातावरण से होगा सुसज्जित
विधायक रिकेश सेन ने आज पत्रवार्ता में बताया कि रामनगर मुक्तिधाम पर्यावरण को ध्यान में रखकर प्रदूषण मुक्त वेल डेवलप्ड बनाया जाएगा। यहां गार्डन, वातानुकूलित बड़े हाल, पेड़ पौधे, भगवान की प्रतिमाएं, फव्वारा, प्रार्थना कक्ष, वातानुकूलित शोक सभा हाल, क्रियाकर्म पश्चात होने वाले आयोजन के लिए बडे़ कक्ष, साउंड सिस्टम से लैस एलईडी स्क्रीन के साथ मुक्तिधाम को विशेष आध्यात्मिक स्वरूप में संजोया जाएगा। मुक्तिधाम को देवी-देवताओं व धार्मिक चिन्हों की कृतियां, इको फ्रेंडली और सुंदर उपवन के रूप में विकसित किया जाएगा, जो एक तरह से पर्यटन स्थल का भी स्वरूप होगा। मुक्तिधाम के शवदाह गृह को भी इको फ्रेंडली बनाया जाएगा। परिसर में खेल मैदान भी होगा, जहां आस-पास के बच्चे विभिन्न खेल का अभ्यास कर सकेंगे।
दो करोड़ रूपये लकड़ी का अधिभार भी होगा कम, गोकुल धाम से निगम करेगा गोबर की सप्लाई
श्री सेन ने कहा कि राम नगर मुक्तिधाम जहां पर पांच विधानसभा के लोग अंतिम संस्कार के लिए आते हैं जहां पर मात्र एक सौ एक रुपए में लकड़ी भी मिलती है। इस मुक्तिधाम के लिए पचास उद्योगपतियों को शामिल कर पीपी मॉडल से उसका पुनर्रूद्धार करना चाहता था। मेरी सोच थी कि नगर निगम, विधायक, राज्य सरकार और उद्योगपतियों के सहयोग से पीपी मॉडल से इसे तैयार करूं। इसके लिए मैंने पचास उद्योगपति को आमंत्रित किया उनसे निवेदन किया कि मुक्तिधाम में अपना सहयोग करें तो सबके अपने अपने कारण थे और कुछ ऐसे राशि का आबंटन कर रहे थे जिसमें इस सम्पूर्ण प्रोजेक्ट की पूर्ति नहीं हो पाती। इसके लिए पांच से दस करोड़ रुपए की आवश्यकता थी, चार करोड़ रूपये मैं अपना निधि देना चाहता था, 3 करोड़ अरूण सावजी से मैंने बात किया था। और उसके बाद इसके मेंटेनेंस की भी टेंशन थी, हर वर्ष जो दो करोड़ लकड़ी का अधिभार निगम पर आता था, उससे कैसे बचा जाए यह भी यक्ष प्रश्न था।
पहले पीपी मॉडल पर बनाया प्लान लेकिन मेंटेंनेंस सहित अनेक अड़चनों से हुआ सामना, चौहान ने लिया जिम्मा
विधायक रिकेश ने बताया कि शहर के एक उद्योगपति अजय चौहान ने मुझसे कहा कि यह जवाबदारी आप मुझे दे दीजिए, यह सब मैं करना चाहता हूं। श्री चौहान से इस मुद्दे मेरी मिटिंग हुई। उन्होंने पाँच से दस करोड़ रुपए से इस प्रोजेक्ट को अकेले पूरा करने का बीड़ा उठाया है। उनका कहना था कि निगम पर लकड़ी का अधिभार भी नहीं होगा, बस निगम मुझे गोबर उपलब्ध कराए ताकि मशीन लगा कर अंतिम संस्कार में लकड़ी की बजाय गोबर के उपलों की ढलाई कर गोबर स्टीक से अंतिम संस्कार किया जा सके। बस बिजली, पानी की आपूर्ति नगर निगम करे, इस तरह की टर्म और कंडीशंस के आधार पर अजय चौहान ने मुझे और कलेक्टर को एक पत्र दिया। नगर निगम कमिश्नर से चर्चा कर इस प्रयास को कलेक्टर ने भी स्वीकृति दी है। अब यह संक्षेपिका बन कर मेयर इन कौन्सिल और विशेष सामान्य सभा में आएगा। वहां से प्रस्ताव राज्य शासन को जाएगा और टर्म और कंडिशंस के आधार पर मुक्तिधाम का विकास कार्य चालू होगा।
जिस भिलाई ने मुझे एक मुकाम दिया है उसके लिए समाजसेवा ही मेरा मूल मकसद रहा है-चौहान
विधायक रिकेश सेन ने बताया कि अजय चौहान का इस काम के पीछे केवल यह सोच है कि वो भिलाई में ही पले बढ़े और एक बड़े बिजनेसमैन बने हैं, उनका घर भी मुक्तिधाम के पास ही है, वो अपने माता-पिता की स्मृति में यह विकास कार्य करना चाहते हैं। मुक्तिधाम के समीप ही उन्होंने माता पिता की स्मृति में मंदिर भी बनवाया है। चौहान हाउसिंग सोसायटी एंड रीयल एस्टेट प्रोपराइटर अजय चौहान ने कहा कि इस प्रोजेक्ट को मैं अपने माता पिता की स्मृति में पूरा करने को तैयार हूं, इसके पीछे कोई निज स्वार्थ नहीं है। जिस भिलाई में शिक्षा दीक्षा प्राप्त कर मुझे एक मुकाम मिला है उस भिलाई के लिए समाजसेवा ही मेरा मूल मकसद रहा है। राज्य शासन और नगर निगम द्वारा निर्धारित नियम और शर्तों का पालन करते हुए ही मैंने इस प्रोजेक्ट के लिए अपना कदम बढ़ाया है।
विधायक रिकेश सेन ने बताया कि प्रोजेक्ट के अनुसार राम नगर मुक्तिधाम में वातानुकूलित प्रार्थना हाल होगा जिसमें अंतिम संस्कार का क्रियाकलाप एक बडे़ स्क्रीन पर लाईव लोग देख सकेंगे। राम नगर मुक्तिधाम का भव्य प्रवेश और निकास द्वार होगा। टाइल्स और मार्बल से सुसज्जित श्रद्धांजलि सभा कक्ष सहित अंतिम संस्कार के बाद के कार्यक्रम हेतु हाल, गार्डन सहित पूरा क्षेत्र अत्यधिक स्वच्छ होगा। एयरपोर्ट की तर्ज पर इसमें वाशरूम भी होंगे। लोग जैसे ही मुक्तिधाम में प्रवेश करेंगे उनको एहसास होगा कि किसी उच्च संस्थान में पहुंचे हैं। पूरे परिसर को साफ रखने लगभग 25 लोग हाउस कीपिंग में रखे जाएंगे। मुक्तिधाम इतना वेल डेवलप्ड होगा कि बाहर से लोग मुक्तिधाम देखने आएंगे।